-रूप चौदस महिलाओं के सजने-संवरने का पर्व
-हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना
जयपुर, 29 अक्टूबर। आज पूरा संसार सजा-धजा नजर आएगा। रूप चौदस महिलाओं के सजने और संवरने का भी पर्व है। इसके अलावा इस दिन नरक चतुर्दशी पूजा का होता है। भगवान हनुमानजी का इस दिन नया जन्म माना जाता है। इसलिए हनुमान मंदिरों में विशेष पूजा अर्चनाएं की गई हैं।
मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रात:काल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर नहाने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। आज के दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के दर्शन का विशेष फल माना गया है। एक अन्य कथा के अनुसार हनुमान जी ने भगवान राम का सानिध्य पाने के लिए अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लेपा था। उन्हें लगता था कि माता सीता थोड़ा सिन्दूर लगाकर ही भगवान राम के इतने करीब हैं तो उन्होंने पूरे ही शरीर पर सिन्दूर लगा लिया था।
आज शाम यमराज के लिए दीपदान किया जाएगा। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस रात दीये जलाने को लेकर कई पौराणिक कथाएं और लोक मान्यताएं हैं। एक कथा के अनुसार आज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी असुर नरकासुर का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष्य में दीये प्रज्जवलित किए जाते हैं।
दीपावली पर लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए सभी लोग घर की साफ-सफाई का कार्य पूरा कर चुके है। मिठाईयों से लेकर शॉपिग और दीपावली के भव्य स्वागत के लिए कई महीनों से लगी महिलाओं को आज रूप-चौदस के दिन सजने-संवरने का पूरा मौका मिला है। दीवाली की सफाई के बाद लक्ष्मी पूजन से पहले खुद को पूर्ण रूप से स्वच्छ व सुंदर बनाने की यह परंम्परा सदियो पुरानी है। रूप-चौदस या रूप-चतुदर्शी के नाम से मशहूर इस दिन पर सुर्योदय से पहले उठकर सुंगधित तेज से मालिश कर ठंडे जल से स्त्रान करने की पंरम्परा है इतिहास मे कुछ खास उबटन जैसे बंसन, चिर्रोजी, हल्दी, चन्दन आदि प्रयोग का भी उल्लेख किया गया है।
आज सजा-धजा नजर आएगा संसार
