चैनल पर नहीं, बोलने की आजादी पर बैन

एनडीटीवी पर बैन के मामले में मीडिया हाउसेस की तीखी प्रतिक्रिया
नई दिल्ली, 5 नवम्बर। केंद्र द्वारा टीवी चैनल एनडीटीवी इंडिया पर लगाए गए एक दिन के बैन की मीडिया संस्थानों और विपक्ष ने कड़ी निंदा की है। ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने तो इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर बैन करार दिया है। यह बैन 9 नवंबर को लागू होगा।
बीईए ने कहा कि यह चैनल पर बैन, बोलने की आजादी पर बैन है। इसे तुरंत वापस लेना चाहिए। एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि चैनल पर बैन का निर्णय मीडिया और देश की जनता की आजादी का स्पष्ट उल्लंघन है। इसने देश को इमरजेंसी की याद दिला दी है। सूचना प्रसारण मंत्रालय ने एनडीटीवी पर यह बैन लगाया है। उस पर पठानकोट आतंकी हमले के दौरान एयरबेस में मौजूद लड़ाकू विमानों और हथियारों से जुड़ी जानकारियां दिखाने का आरोप है।
सूत्रों के मुताबिक चैनल ने इसके जवाब में कहा था कि उन्होंने वही जानकारियां दिखाईं जो पहले से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर मौजूद हैं।
कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी पार्टियों ने चैनल पर प्रतिबंध का विरोध किया। कांग्रेस ने कहा कि नेता हिरासत में लिए जा रहे हैं। चैनल पर बैन लग रहा है। यही है मोदी का इंडिया। राहुल गांधी ने इसे चौंकाने वाला और अद्वितीय करार दिया।
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया कि यह मीडिया के जागने का वक्त है। अगर नहीं जागा तो देर हो जाएगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बैन की आलोचना की है।
पहले भी चैनल ने केबल अधिनियम का किया उल्लंघन: आईएमसी
एक दिनी बैन के मामले में आईएमसी (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अंतर-मंत्रालयी समिति) ने कहा कि यह पहला मामला नहीं जब चैनल ने केबल अधिनियम का उल्लंघन किया। पहले के मामले भी ध्यान में रखे गए हैं। ताजा मामला पठानकोट कवरेज को लेकर है। चैनल ने कवरेज के दौरान गंभीर जानकारियां व सुरक्षा तंत्र का खुलासा करते हुए स्टोरी का प्रसारण किया। एंकर व संवाददाता की बातचीत में कई बार एयरबेस पर स्कूल, रिहायशी इलाकों व हथियार डिपो की स्थिति का जिक्र किया गया। केबल टीवी नेटवर्क के उल्लंघन (विनियमन) अधिनियम नियम 6 (1) पी कहता है कि सुरक्षा बलों द्वारा किसी आंतकी गतिविधि विरोधी ऑपरेशन की लाइव कवरेज किसी भी केबल सर्विस के प्रोग्राम में शामिल नहीं होनी चाहिए या ऐसा कोई कंटेंट नहीं होना चाहिए। पूरे ऑपरेशन का निष्कर्ष आने तक सरकार की ओर एक अधिकारी मीडिया को आवश्यक जानकारी देगा। चैनल ने इस नियम के विरुद्ध कवरेज किया।

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