चीन साउथ चाइना सी में तैनात करेगा तैरने वाला पहला एटमी रिएक्टर

बीजिंग, 8 नवम्बर। चीन ने अपना पहला तैरने वाला न्यूक्लियर रिएक्टर बनाना शुरू कर दिया है। 2020 के अंत तक इसे समुद्र तट पर डिप्लॉय कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि चीन इस रिएक्टर का इस्तेमाल साउथ चाइना सी स्थित आर्टिफिशियल आईलैंड्स में बिजली सप्लाई करने के लिए करेगा। चाइना जनरल न्यूक्लियर पावर ग्रुप (सीजीएन) इस रिएक्टर को बना रहा है।
सीजीएन ने अपने स्टेटमेंट में बताया कि रिएक्टर का कंस्ट्रक्शन का काम शुरू हो गया है। सीजीएन के मुताबिक, 200 मेगावॉट का ये रिएक्टर समुद्र तटीय इलाकों और आईलैंड्स में बिजली सप्लाई करेगा। ये भी बताया जा रहा है कि इससे चीन की नेवी ताकत और बढ़ेगी। बता दें कि चीन के पास दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना में कहीं ज्यादा सिविलियन न्यूक्लियर पावर स्टेशन हैं।
प्रोजेक्ट को इसी साल चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन ने मंजूरी दी थी। ये कमीशन चीन का इकोनॉमिक प्लानर है। इसके अलावा चीन सिविलियन इस्तेमाल के लिए फ्लोटिंग पावर स्टेशन बनाने की भी प्लानिंग कर रहा है। जुलाई में चीन के स्टेट मीडिया ने खबर दी थी कि चीन का मकसद कई तैरते न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने का है। ये रिएक्टर साउथ चाइना सी में डेवलपमेंट में मददगार साबित होंगे। हालांकि बाद में इंटरनेशनल कोर्ट पर आर्बिट्रेशन के फैसले में कहा गया कि चीन का साउथ चाइना सी के ज्यादातर हिस्से पर कोई हक नहीं है।
ऐसा करने वाला चीन पहला देश नहीं
फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर स्टेशन बनाने वाला चीन पहला देश नहीं है। 1960 के दशक में अमेरिका ने वल्र्ड वार के एक फ्रीट में न्यूक्लियर रिएक्टर बनाया था। इससे पनामा कैनाल जोन को इलेक्ट्रिसिटी दी जाती थी। अमेरिका 1955 से जहाजों को न्यूक्लियर पावर स्टेशन से बिजली दे रहा है। 1955 में पहली बार अमेरिकन सबमरीन नॉटिलस के कमांडिंग अफसर ने संदेश भेजा था- हम न्यूक्लियर पावर के रास्ते में हैं। तब से अमेरिकी न्यूक्लियर रिएक्टर शिप्स को इलेक्ट्रिकल पावर दे रहे हैं। साउथ चाइना सी में हमेशा टाईफून (साइक्लोन) आते रहते हैं। इससे हवाओं के सहारे फ्लोटिंग पावर प्लांट्स को आईलैंड तक पहुंचने में मदद मिलेगी। हालांकि ये अभी तक पता नहीं है कि पानी पर तैरने वाले रिएक्टर्स कैसे होंगे?
क्या है विवाद की असल वजह?
साउथ चाइना सी का लगभग 35 लाख स्क्वायर किलोमीटर का एरिया विवादित है। इस पर चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और बु्रनेई दावा करते रहे हैं। साउथ चाइना सी में तेल और गैस के बड़े भंडार दबे हुए हैं। अमेरिका के मुताबिक, इस इलाके में 213 अरब बैरल तेल और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नेचुरल गैस का भंडार है। वियतनाम इस इलाके में भारत को तेल खोजने की कोशिशों में शामिल होने का न्योता दे चुका है। इस समुद्री रास्ते से हर साल 7 ट्रिलियन डॉलर का बिजनेस होता है। चीन ने 2013 के आखिर में एक बड़ा प्रोजेक्ट चलाकर पानी में डूबे रीफ एरिया को आर्टिफिशियल आइलैंड में बदल दिया। अमेरिका और चीन एक दूसरे पर इस क्षेत्र को सैन्यीकरण करने का आरोप लगाते रहे हैं। फिलीपींस की पिटीशन पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने कहा था कि चीन का साउथ चाइना सी के ज्यादातर हिस्से पर कोई हक नहीं है।

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