नई दिल्ली, 8 नवम्बर। अमेरिका में नए प्रेसीडेंट के चुनाव के लिए वोटिंग मतदान हो रहा है। मुकाबला हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच है। हिलेरी क्लिंटन डिक्लसविल में जीतीं। कहा जा रहा है कि डेमोक्रेट हिलेरी और रिपब्लिकन ट्रम्प में से कोई भी जीते, फॉरेन पॉलिसी पर गहरा असर पड़ेगा। दोनों ही कैंडिडेट ने कैम्पेन के दौरान अपने बयानों में भारत और साउथ एशिया को लेकर यूएस की बेहतर पॉलिसी के संकेत दिए हैं। यूएस के कई अखबारों और मैगजीन ने अपने-अपने तरीके से इनका एनालिसिस किया है।
भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में समीक्षा करें तो पाकिस्तान को लेकर हिलेरी अमेरिका की मौजूदा पॉलिसी के दायरे में ही रहकर काम करेंगी। उड़ी टेरर अटैक के बाद भारत के कड़े रुख को देखते हुए ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन ने कई बार यह क्लियर किया है कि वह पाक पर सभी आतंकी संगठनों पर कार्रवाई को लेकर दबाव बनाना जारी रखेगा। ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन में बतौर फॉरेन मिनिस्टर हिलेरी ने कहा था कि पाकिस्तान सांप पालता है। उनका इशारा आतंकियों की ओर था। यह भी कहा जा रहा है कि हिलेरी के जीतने पर पाक मूल की हुमा आबदीन चीफ ऑफ स्टॉफ होंगी। ऐसे में हुमा पाक के खिलाफ कड़े फैसले से हिलेरी को रोक सकती हैं।
उधर ट्रम्प ने अपने कैम्पेन की शुरुआत में ही पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश बताकर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। यह भी कहा है कि पाक ने 9/11 के बाद कई बार धोखा दिया है। राष्ट्रपति बनने पर हर गलती के लिए उसे सजा दूंगा। इससे यह माना जा रहा है कि वह पाक के मामले में लीक से हटकर कुछ फैसला कर सकते हैं। न्यूजवीक के मुताबिक, भारत में अपने बिजनेस को सिक्योर करने के लिए भी ट्रम्प पाक के खिलाफ सख्त हो सकते हैं। पाकिस्तान को अमेरिका से मिल रही आर्थिक मदद में कटौती हो सकती है।
चीन के मसले पर 2011 में चेन्नई में अपनी स्पीच में हिलेरी ने कहा था अब वह वक्त आ चुका है, भारत साउथ एशिया की लीडरशिप संभाले। भारत-अमेरिका संबंधों में इसका असर दिखाई देगा। हिलेरी के इस बयान को चीन ने अपने खिलाफ माना था। हिलेरी चीन में ह्यूमन राइट्स वॉयलेशन पर भी चिंता जता चुकी हैं। हिलेरी के कैम्पेन के चेयरमैन जॉन पोडेस्टा ने कहा है- हिलेरी दोनों देशों (भारत-अमेरिका) के संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाएंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह जाहिर हो चुका है कि ट्रम्प रूस को लेकर नरम रवैया रखते हैं। रूसी मीडिया भी ट्रम्प को सपोर्ट कर रहा है। रूस भारत का भी दोस्त है, इस लिहाज से ऐसा माना जा रहा है कि ट्रम्प चीन के खिलाफ भारत के नैचुरल फ्रैंड हो सकते हैं। हिलेरी और ट्रम्प दोनों ने चीन के खिलाफ ट्रेड वार छेडऩे की चेतावनी दी है।
भारत को लेकर हिलेरी ने कहा है कि वे प्रेसिडेंट ओबामा की तरह ही नई दिल्ली से रिश्ते मजबूत करेंगी। हालांकि बतौर फॉरेन मिनिस्टर हिलेरी ने ही गुजरात दंगे की वजह से मोदी को वीजा नहीं दिया था। जबकि ट्रम्प ने अपने कैम्पेन में मोदी को महान शख्सियत और खुद को हिंदुओं का बिग फैन बताया है। उन्होंने मोदी की तरह नारा भी दिया है- अब की बार ट्रम्प सरकार।
रिश्तों की बात करें तो भारत ने 1998 में एटमी टेस्ट किए तो यूएस से रिश्ते बिगड़ गए। तब हिलेरी ने उस वक्त प्रेसिडेंट रहे बिल क्लिंटन को नई दिल्ली से रिश्ते दुरुस्त करने के लिए इंस्पायर किया। बतौर फॉरेन मिनिस्टर भारत से सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट कराने में भी अहम रोल था। जबकि एक रैली में ट्रम्प ने कहा है जीता तो भारत का सबसे अ’छा दोस्त बनूंगा। वहां के लोग और उनका देश शानदार हैं। वहां दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी है।
बीबीसी के मुताबिक, हिलेरी के पास वुमेन हेल्थ, साउथ एशिया पर पॉलिसी मेकिंग का लंबा एक्सपीरियंस है। इनकी पॉलिसी से भारत समेत सभी वाकिफ हैं। जबकि रियल एस्टेट कारोबारी हैं। गुडग़ांव और पुणे में इन्वेस्टमेंट कर रखा है। कश्मीर इश्यू पर सवालों से बचते दिखाई दिए। जवाबों से लगता है कि वे अभी कश्मीर मसले को समझ रहे हैं।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव -डिक्लसविल में जीतीं हिलेरी क्लिंटन
