अमान्य करने के मोदी सरकार के निर्णय को लेकर
विपक्ष के तीखे तेवर
नई दिल्ली : देश में 1000 और 500 रुपये के नोटों को
अमान्य करने के मोदी सरकार के निर्णय से आम आदमी को हो रही परेशानी को लेकर
विपक्ष ने आज अपने तीखे तेवर जारी रखते हुए संसद में सरकार पर प्रहार जारी
रखा। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर बाधित
रही। इस मुद्दे पर लोकसभा में मत विभाजन के नियम के तहत चर्चा कराने की मांग और राज्यसभा में चर्चा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सदन में उपस्थिति की मांग को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मतदान वाले नियम के तहत इस मुद्दे पर
चर्चा करने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया और इस मुद्दे पर हंगामे के
कारण सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब साढ़े बारह बजे पूरे
दिन के लिए स्थगित कर दी। राज्यसभा
में नोटबंदी के मुद्दे पर कल चर्चा होने के बाद आज विपक्ष इस मांग पर अड़
गया कि चर्चा के दौरान सदन में प्रधानमंत्री उपस्थित रहें। इसके चलते हुए
हंगामे के कारण पांच बार के स्थगन के बाद अंतत: अपराह्न करीब सवा तीन बजे
कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।
नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में चर्चा पर प्रधानमंत्री से जवाब देने की
विपक्ष की मांग आज सरकार ने खारिज कर दी और आरोप लगाया कि विपक्षी दल इस
विषय पर चर्चा को बाधित करने के बहाने तलाश रहे हैं क्योंकि यह उनके खिलाफ
जा रहा है। सूचना प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संसद के बाहर
संवाददाताओं से कहा कि सदन के नियमों और स्थापित चलन के मुताबिक सरकार की
ओर से चर्चा का जवाब संबंधित मंत्री या कोई अन्य व्यक्ति देंगे। नायडू ने
कहा, ‘राज्यसभा में आधी चर्चा हो जाने के बाद उन्हें लगा कि इसका नकारात्मक
प्रभाव पड़ रहा है और उल्टा पड़ने जा रहा है। अब मुझे लगता है कि क्या वे
इससे बाहर आने के लिए रास्ते तलाश रहे हैं और इसके मद्देनजर चर्चा बाधित कर
रहे हलोकसभा में मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा कराए जाने की
मांग को अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी। हालांकि सरकार इस बात पर कायम रही कि
वह नियम 193 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार है। विपक्ष के हंगामे के
कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी
गयी। कांग्रेस, तृणमूल, वाम दलों ने सरकार के फैसले के कारण आम लोगों को हो
रही परेशानियों और इस निर्णय को चुनिंदा तरीके से लीक करने का आरोप लगाते
हुए नियमित कार्य स्थगित कर तत्काल चर्चा शुरू कराने की मांग की।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार, कालाधन और जाली
नोट को खत्म करने और इसके आधार पर पनपने वाले आतंकवाद को खत्म करना हमारी
सरकार की प्राथमिकता है और इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने यह
पहल की है। उन्होंने कहा कि संसद से और देश की सबसे बड़ी महापंचायत से इस
विषय पर दो स्वर नहीं निकलने चाहिए, अगर ऐसा होता है तो देश में अच्छा
संदेश नहीं जाएगा। किन्तु विपक्षी सदस्य इस पर तैयार नहीं थे और वे
कार्यस्थगित कर चर्चा कराने की मांग करते रहे।
इससे पहले कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 500 रूपये और
1000 रूपये के नोटों को अमान्य करने के निर्णय के कारण आम लोगों, किसानों,
छोटे कारोबारियों को हो रही परेशानियों और आर्थिक संकट एवं इसे कथित रूप से
लीक करने के विषय को लेकर हमने नियम 56 के तहत नोटिस दिया है और इस पर
तत्काल चर्चा शुरू करायी जाए।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि सरकार के फैसले के कारण
आम लोग और गरीब काफी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि इस निर्णय पर रोक लगाई
जाए। हम सभी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं और हम सब को मिलकर इससे निपटना है।
राजद के जयप्रकाश नारायण यादव और माकपा के मोहम्मद सलीम ने भी कहा कि
नोटबंदी के कारण लोग परेशान हैं तथा इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा करायी जाए।
हंगामे के बावजूद लोकसभा में प्रश्नकाल पूरा चला। हंगामे के दौरान
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल, अन्नाद्रमुक के सदस्य अध्यक्ष के आसन के
समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे।
उधर, राज्यसभा में सुबह बैठक शुरू होने पर विभिन्न विपक्षी दलों के
सदस्यों ने नोटबंदी मुद्दे पर जवाब के लिए प्रधानमंत्री के सदन में आने की
मांग की। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, लेकिन सवाल यह है
कि जिन व्यक्ति ने 8 नवंबर की रात को नोटबंदी का ऐलान किया था, वह कहां
हैं?’ ओ ब्रायन के इस बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, ‘यह अपनी बात रखने का कोई
तरीका नहीं है। प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह नहीं बोला जा सकता।’
कांग्रेस सदस्यों ने ओ ब्रायन की बात का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री
के सदन में मौजूद रहने की मांग उठाई। इस बीच, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और
सपा के सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी करने लगे। उधर अन्नाद्रमुक
सदस्यों ने भी आसन के समक्ष आकर कावेरी नदी के पानी से जुड़ा अपना मुद्दा
उठाना शुरू कर दिया। नायडू ने कहा कि वह आसन से प्रधानमंत्री के खिलाफ की
गई टिप्पणी को कार्यवाही से निकालने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि
कल भी एक विपक्षी सदस्य ने प्रधानमंत्री के खिलाफ एक टिप्पणी की थी और उसे
भी कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए।
इस पर उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि वह रिकॉर्ड देखेंगे और समुचित
कार्रवाई करेंगे। प्रधानमंत्री के सदन में आने की मांग करते हुए विपक्ष के
नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार की नीति के कारण देश भर में लाखों
लोगों को परेशानी हो रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार के नोटबंदी
के फैसले के चलते 40 निरपराध लोगों की मौत हो गयी जो उरी में पाकिस्तानी
आतंकवादियों की गोलीबारी में मारे गये लोगों की तुलना में भी अधिक हैं।
उन्होंने कहा कि इन लोगों की मौतों की जिम्मेदारी भाजपा और सरकार पर है।
आजाद द्वारा पाकिस्तान का जिक्र किए जाने पर सत्ता पक्ष ने तीखी आपत्ति
जतायी। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने उनके बयान को राष्ट्रविरोधी बताते
हुए कहा कि गुलाम नबी आजाद पाकिस्तान को प्रमाण पत्र दे रहे हैं। नायडू ने
उनके बयान को सदन की कार्यवाही से निकालने का आसन से अनुरोध किया। इस पर
आजाद ने कहा कि वह सरकार के फैसले के कारण हुई मौतों का सिर्फ जिक्र कर रहे
थे। उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि हम
(कश्मीर के लोग) 24 घंटे पाकिस्तान को झेलते रहते हैं जबकि आप वहां शादी
विवाह में शामिल होने जाते हैं। आप उन्हें तोहफे भिजवाते हैं।
रिकार्ड पर गौर करने का आश्वासन देते हुए उपसभापति पीजे कुरियन
ने आजाद से कहा कि क्या वह नायडू की बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे।
हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि
सरकार ने नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा की सदस्यों की मांग स्वीकार कर ली।
उन्होंने कहा कि अफसोस है कि कुछ लोगों के पास तर्क नहीं है, इसलिए यह
स्थिति बन रही है। सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने दावा किया कि वित्त मंत्री को
पता ही नहीं है कि उनके विभाग में क्या हो रहा है। उनकी टिप्पणी पर
उपसभापति कुरियन और संसदीय कार्य राज्य मंत्री नकवी ने आपत्ति जतायी। नकवी
ने कहा कि नोटबंदी का फैसला वापस नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि उच्च सदन में नोटबंदी के विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव
पर कल दिन भर चली चर्चा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, प्रमोद तिवारी,
बसपा प्रमुख मायावती, जदयू नेता शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी सहित
कई विपक्षी सदस्यों ने सरकार के इस फैसले से आम जनता को होने वाली परेशानी
की ओर ध्यान दिलाया। सत्ता पक्ष की ओर से शहरी विकास मंत्री नायडू और बिजली
मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इस निर्णय
से भ्रष्टाचार, काला धन पर रोक लगेगी और आतंकवादियों को मिलने वाले धन पर
लगाम कसेगी।