शिक्षा में राजनीती पर करारा तमाचा है बिसात

sabhar dainik bhaskar

जयपुर। रवींद्रमंच के फ्राइडे थिएटर में वरिष्ठ रंगकर्मी हेमंत थपलियाल लिखित और निर्देशित नाटक ‘बिसात’ का मंचन शुक्रवार को  किय गया। जयपुर में इसका यह दूसरा शो था। नाटक में विभिन्न घटनाक्रमों और संवादों के जरिए चाणक्य के इस वाक्य को स्थापित करने का बेहतरीन प्रयास किया गया है जिसमें कहा गया था कि राजनीति जनता की भलाई के लिए होनी चाहिए। इस एक वाक्य के जरिए हेमंत ने जिस अंदाज में आज की राजनीतिक परिस्थितियों का मंथन किया उसने आज के राजनीतिज्ञों के चरित्र और जनता के प्रति उनकी थोथी सोच का पोस्टमार्टम कर डाला। इसमें इस बात को स्थापित किया गया कि चाणक्य का यह सूत्र आज की परिस्थितियों में मात्र एक किताबी जुमला बन कर रह गया है।
नाटकमें बताया गया कि इस अव्यवस्थित तंत्र में मेडिकल जैसी सीट चंद रुपयों की खातिर दूसरे को दे दी जाती है जिसकी वजह से एक योग्य लड़का चयन से रह जाता है और वह आत्महत्या कर लेता है। जिन रसूखदारों को रुपयों के बल पर वो सीट मिली उसकी तरफ सत्ता है, प्रशासन है और प्रशासन शासन भी साथ दे रहा है। उसका मित्र अमेरिका से आता है और उसकी मृत्यु से उद्धेलित होता है। वो संघर्ष का ऐलान करता है और शुरू हो जाता है राजनेताओं का लाश पर रोटी सेंकने का अभियान।नाटक में सभी  कलाकारों ने प्रभावशाली प्रस्तुति दी।

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