कानपुर ट्रेन हादसा सौ की मोत, वजह आई सामने

सामने आई वजह, क्यों हुआ कानपुर ट्रेन हादसा

 कानपुर। रविवार तड़के कानपुर से करीब 100 किमी दूर पुखरायां गांव में इंदौर पटना एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। कई लोगों की मौके पर मौत हो गई। हादसे के बाद कई महिलाएं चीख रही थीं।
बच्चे अपने माता-पिता को तलाश रहे थे। दरअसल, किसी तकनीकी गड़बड़ी के चलते ट्रेन के ड्राइवर ने फुल इमरजेंसी ब्रेक लगाया था। कुछ डिब्बे तो तेज झटका खाने के बाद भी सलामत रहे, लेकिन पीछे के कुछ डिब्बे पिचककर अपनी कुल लंबाई से आधे हो गए। कई लोगों के शवों के टुकड़े वहां बिखरे पड़े थे। कई शख्स ऐसे थे जो किसी दूसरे डिब्बे में सफर करने की वजह से बच गए लेकिन अपने परिवार को खो चुके थे। अपनों की लाश देख वे चीख रहे थे।
धड़धड़ाने लगे डिब्बे
‘सुबह करीब 3 बजे का वक्त था। ट्रेन पूरी रफ्तार पर थी। अचानक झटका लगा। हमारा कोच S4 चंद सेकंड के लिए धड़धड़ाता रहा। पीछे की तरफ की बोगियों के एकदूसरे पर चढ़ने की वजह से जर्क इतना तेज था कि हमारे कोच के अंदर नींद से जागे लोग समझ गए थे कि कोई हादसा हुआ है। वे ट्रेन की खिड़कियों या बर्थ पर लगी रेलिंग को कसकर पकड़ चुके थे। जब डिब्बा थम गया तो हम लोग हिम्मत करके बाहर आए। डिब्बा पटरी से 25 मीटर दूर खेत में आ चुका था। कई डिब्बे मलबे में बदल गए थे। चारों-तरफ चीख पुकार मच गई।’
गार्ड ने बताया- क्यों पटरी से उतरे डिब्बे
अलसुबह के कारण अंधेरा था और उस पर कुहासा था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। लोग मलबे में फंसे थे। ट्रेन की खिड़की, दरवाजे से हाथ निकालकर चिल्ला रहा थे। हमें ट्रेन का एक गार्ड मिला। उसने बताया कि किसी तकनीकी दिक्कत के चलते ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया। उस वजह से 14 डिब्बे पटरी से उतर गए। वहां लोगों को बचाने वाला कोई नहीं था। हमारे आगे के डिब्बे S3, S2 तो पूरी तरह मलबे में बदल गए थे। शायद ही उन डिब्बों में से कोई बचा है।
दूसरे डिब्बे में था परिवार, कोई जिंदा नहीं बचा, लाश उठाए दौड़े लोग
वहां मंजर ऐसा था कि कई लोगों के शव बिखरे पड़े थे। शवों के टुकड़े नजर आ रहे थे। महिलाएं चीख रही थीं। बच्चे रो रहे थे। हमारे कोच में एक शख्स ऐसे थे जो एसी में रिजर्वेशन नहीं मिलने की वजह से हमारे साथ स्लीपर में सफर कर रहे थे। लेकिन उनका पूरा परिवार एसी में ट्रेवल कर रहा था। उनके परिवार का कोई शख्स जिंदा नहीं बचा। कई लोग अपने परिवार के लोगों की लाश लेकर इधर-दौड़ रहे थे।
आधे घंटे में आए गांव वाले और एंबुलेंस
जहां हादसा हुआ, वहां से एक गांव करीब 1 किमी दूर था। ट्रैक से 500 मीटर की दूरी पर हाईवे था। आधे घंटे के अंदर एंबुलेंस और गांव के लोग आ गए और रेस्क्यू का काम शुरू हुआ।
उज्जैन से बैठी थी बच्ची, दो टुकड़ों में निकली लाश
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि स्लीपर के एक कोच में उज्जैन से एक बच्ची अपने परिवार के साथ बैठी थी। पूरे रास्ते वह हंसते-खेलते हुए आई। हादसे के बाद उसका लाश के दो टुकड़े हो गए। उसके माता-पिता का पता नहीं चल सका।
स्लीपर के डिब्बों सबसे ज्यादा नुकसान
– रेलवे के मुताबिक, सिटिंग/लगेज कम्पार्टमेंट, GS, GS, A1, B1/2/3, BE, S1, S2, S3, S5, S6 में ज्यादा नुकसान हुआ है। नॉर्दन सेंट्रल रेलवे के स्पोक्सपर्सन विजय कुमार ने बताया, “हादसा कानपुर से 100 किलोमीटर दूर पुखरायां के पास सुबर करीब 3 बजे हुआ है। हादसे की वजह अभी पता नहीं चल पाई है।”

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