नोटबंदी के खिलाफ आज रात से ट्रांसपोर्टर्स हड़ताल पर

-ट्रक चालको के भूखो मरने की नोबत का आरोप 
नई दिल्ली। नोटबंदी से  सर्वाधिक परेशानी वे ट्रांसपोर्टर महसूस कर रहे हैं, जिनके कंधों पर रोजमर्रा की वस्तुओं समेत उद्योगों में निर्मित माल को देश को एक से दूसरे कोने तक ढोने की जिम्मेदारी है। पुराने नोटों से पेट्रोल-डीजल मिलना बंद होते ही उन चालीस फीसदी ट्रकों के पहिए भी गुरुवार रात से थम सकते हैं। ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से पुराने नोटों से डीजल-पेट्रोल उपलब्ध कराने की अवधि बढ़ाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश में आवश्यक वस्तुओं की किल्लत की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्टरों की नहीं होगी। एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के संचालक ने बताया नोटबंदी से खाद्य तेलों तथा घी की आपूर्ति की गति धीमी हो गई है। आयातित खाद्य तेल की कांडला बंदरगाह से लदान में 60% की कमी है। गुजरात समेत अन्य तेल उत्पादक राज्यों से भी ट्रकों में लदान ठप है।
एसोसिएशन के अनुसार ट्रांसपोर्ट उद्योग पहले से ही चालकों की 25% कमी से जूझ रहा है। नोटबंदी ने ट्रक चालकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा कर दी है। चालकों के पास नए नोट हैं नहीं और पुराने नोटों से ढाबे वाले भोजन देने से मना कर देते हैं। ट्रांसपोर्टरों के अनुसार देश में फल और सब्जियों की आपूर्ति का दारोमदार भी ट्रकों पर है लेकिन नोटबंदी से राजमार्गों पर जहां-तहां खड़े ट्रक ना तो उत्पादक राज्यों तक पहुंच पा रहे हैं और ना ही आपूर्ति के इंतजार में बैठे बाजारों में माल पहुंचा पा रहे हैं।आल इंडिया ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप सिंहल के अनुसार देश में माल ढोने वाले 11.26 लाख में से 4 लाख ही सड़क पर हैं। पुराने नोटों से डीजल बंद होते ही यह आधे हो जाएंगे।

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