नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी से भले ही आम आदमी को तकलीफ हो रही है लेकिन इसने आतंक और नक्सलवाद की भी कमर तोड़ दी है। नक्सलवाद से प्रभावित राज्यों में सरकार की नीतियों, सुरक्षा बलों की ओर से बढ़ रहे दबाव और हालिया नोटबंदी के फैसले का असर नक्सलियों पर खूब पड़ा है। पिछले 28 दिनों में 564 नक्सलियों और उनके समर्थकों ने सरेंडर किया है। यह अबतक किसी एक महीने में सरेंडर किए नक्सलियों की सबसे बड़ी संख्या है। हालांकि इसमें सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस की नियमित कार्रवाई की अहम भूमिका है। फिर भी छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश जैसे नक्सल प्रभावित राज्यों में हुए सरेंडर पर नोटबंदी का असर भी माना जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक सरेंडर करने वाले 564 नक्सलियों और उनके समर्थकों में से 469 तो केवल 8 नवंबर के बाद हुए हैं।
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। अधिकारियों के मुताबिक 70 फीसदी सरेंडर अकेले ओडिशा के मलकानगिरी में हुए हैं। पिछले महीने हुए एनकाउंटर में मलकानगिरी में 23 नक्सली मारे गए थे।
आतंक और नक्सलवाद पर भी भारी पड़ी नोटबंदी
