ओमपुरी का निधन

चित्र ओमपुरी की पहली फिल्म घासीराम कोतवाल का है

-रात को पानी पीने के लिए उठे थे, गिरने से लगी सिर में चोट
मुंबई, 6 जनवरी। फिल्म अभिनेता ओम पुरी का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। कहा जा रहा है कि उनका निधन दिल का दौरा पडऩे से हुआ लेकिन ये अभी साफ नहीं हुआ है। 66 वर्षीय ओम पूरी गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात पानी पीने के लिए उठे और गिर पड़े। उनके सिर में चोट आई थी। उनका पार्थिव शरीर पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया। उन्होंने सौ से अधिक हिंदी और करीब बीस हॉलीवुड की फिल्मों में काम किया था। ओम पुरी को 1984 में अर्ध सत्य के किरदार के लिए बेस्ट एक्टर के नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया। नब्बे में पद्मश्री भी मिला था। बता दें कि इन दिनों वे सलमान के साथ ट्यूबलाइट की शूटिंग में बिजी थे। जून में ईद पर रिलीज होने वाली कबीर खान की इस मूवी में ओम पुरी एक गांधीवादी नेता का रोल कर रहे थे। गुरुवार को वे शूटिंग करके लौटे थे। आज सुबह उनके ड्राइवर ने घर दरवाजा खटखटाया। दरवाजा न खोले जाने पर ड्राइवर ने ही स्थानीय ओशिवारा पुलिस स्टेशन को सम्पर्क किया। फिलहाल उनके पार्थिव शरीर को पोस्टमॉर्टम के लिए कूपर हॉस्पिटल ले जाया गया था। हॉस्पिटल में शबाना आजमी, सुशांत सिंह और अशोक पंडित मौजूद रहे।
मोदी सहित कई ने जताया दुख
पीएम मोदी ने ओम पुरी के निधन पर दुख जताया। फिल्म और थियेटर में उनके काम और योगदान को याद किया। मधुर भंडारकर ने कहा कि यकीन नहीं होता कि इतना एक्टिव इंसान इस तरह अचानक चला गया, बहुत दुखद बात है, फिल्म इंडस्ट्री में उनका बहुत कमाल का योगदान रहा है। डेविड धवन ने उन्हें याद करते हुए कहा कि बड़ा धक्का लगा उनकी डेथ की न्यूज सुनकर। 1974 में हम रूम मेट रह चुके थे। वो ब्रिलियंट एक्टर थे। शबाना आजमी ने कहा कि उनसे करीब की दोस्ती रही थी, उनके साथ कई फिल्मों में काम किया, उनका निधन होना बहुत अफसोस की बात है। रजा मुराद ने कहा कि ज्यादा शराब पीने से ओम पुरी की सेहत खराब हो गई थी। बेहद आम शक्ल सूरत होने के बावजूद उन्होंने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। महेश भट्ट ने ट्वीट कर ओमपुरी को श्रद्धांजलि दी। लिखा कि अलविदा ओम! आज तुम्हारे साथ मेरी भी जिंदगी का एक हिस्सा चला गया। मैं उन लम्हों को कैसे भूल सकता हूं। जब हमने फिल्म और जिंदगी की बातें करते हुए कई रातेंं गुजारी थीं।
ये थे ओमपुरी और उनका फिल्मी जीवन
ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को अंबाला में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। हिंदी फिल्मों के अलावा पाकिस्तान और हॉलीवुड की फिल्मों में काम किया। पुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से ग्रेजुएशन किया। उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से भी पढ़ाई की। यहां नसीरुद्दीन शाह उनके क्लासमेट थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की। 1976 में पुणे से ट्रेनिंग ली थी। बाद में ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप मजमा का गठन किया था। साधारण चेहरे के बावजूद ओम पुरी अपनी खास एक्टिंग, आवाज और डायलॉग डिलिवरी के लिए जाने जाते थे। 1976 में आई उनकी पहली फिल्म घासीराम कोतवाल थी। अमरीश पुरी, स्मिता पाटिल, नसीर और शबाना आजमी के साथ मिलकर उनके कई यादगार फिल्में दीं। अस्सी में आई भावनी भवई और आक्रोश, 1981 में सद्गति, 1982 में अर्धसत्य और डिस्को डांसर, 1986 में आई मिर्च मसाला और 1992 की धारावी से शोहरत मिली। सनी देओल के साथ घायल औऱ 1996 में गुलजार की माचिस में उन्होंने सिख आतंकवादी का किरदार निभाया। माचिस में बोला गया उनका डायलॉग आधों को 47 ने लील लिया और आधों को 84 ने काफी मशहूर हुआ। जाने भी दो यारो, हेरा-फेरी, चाची चार सौ बीस, मालामाल वीकली, सिंग इज किंग, बिल्लू बार बन में वे हास्य रोल में नजर आए। विशाल भारद्वाज की मकबूल में नसीरुद्दीन शाह के साथ ओमपुरी एक ऐसे पुलिसवाले के रोल में थे जो कुंडली बनाने में महारत रखता है। ओम पुरी ने सीरियल भारत एक खोज, काकाजी कहिन, सी हॉक्स, अंतराल, मि. योगी, तमस और यात्रा में भी काम किया। वर्ष दो हजार चार में उन्हें ऑनरेरी ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर का अवॉर्ड दिया गया

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