कैलाश सत्यार्थी का नोबेल पुरस्कार चोरी

नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के घर सोमवार रात चोरी हो गई। बदमाश ताला तोड़कर उनके घर में घुसे और नोबेल पुरस्कार की रेप्लिका ले गए। जानकारी के मुताबिक, सत्यार्थी एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए बोगोटा (लैटिन अमेरिका) गए हैं। चोरों ने गहने और कई महंगे सामान भी चुरा लिए। घटना का खुलासा मंगलवार को हुआ, पुलिस और फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम ने अहम सबूत जुटाए हैं। सत्यार्थी साउथ-ईस्ट दिल्ली के अलकनंदा अपार्टमेंट में रहते हैं। यह दिल्ली के सबसे पॉश इलाके जीके पार्ट-2 में आता है। मंगलवार को एनजीओ के इम्प्लॉइज उनके घर पहुंचे तो ताला टूटा मिला और सामान गायब था। दिल्ली पुलिस और फोरेंसिक एक्सपर्ट ने सबूत जुटाए हैं। घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली गई है।
मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी 1954 को पैदा हुए कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ आंदोलन एनजीओ चलाते हैं। उन्हें वर्ष चौदह में शांति का नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। इसी साल पाकिस्तान की मलाला युसुफज़़ई को भी साझा अवॉर्ड दिया गया। पेशे से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर रहे सत्यार्थी ने 26 साल की उम्र में ही करियर छोड़कर बच्चों के लिए काम करना शुरू कर दिया था। सत्यार्थी बचपन से ही कुरीति-विरोधी रहे हैं। गरीबी कभी उन्हें डिगा नहीं सकी। हाल यह था कि उनके पास आटा गूंथने के लिए बर्तन नहीं था और वह पत्थर पर आटा गूंथकर रोटी बनाया करते थे। सत्यार्थी पहली बार चर्चा में तब आए जब उन्होंने विदिशा में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास सफाई कामगारों से भोजन बनवाया था। उनके इस गांधीवादी कदम ने इलाके में नई बहस को जन्म दिया। सत्यार्थी ने बच्चों के हक के लिए काम करते हुए जिस आसमान को छुआ, उसकी जमीन आर्थिक अभावों और संघर्षों में तैयार हुई। सालों तक सामाजिक आंदालनों में भाग लेते रहे। विदिशा में बना उनका घर आज भी सामान्य हालत में है।

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