वैलेंटाइन डे के अलग-अलग रंग

बुजुर्ग जोड़ों को सम्मानित कर मनाया वैलेंटाइन डे
जयपुर। वैलेंटाइन डे के इस खास दिन पर जहां एक ओर शहर के सभी लोग इस दिन को सेलिब्रेट करने में लगे हुए थे, वहीं दूसरी ओर झालाना डूंगरी विकास महासंघ द्वारा झालाना डूंगरी फेज 4 में वृद्धजनों के जोड़ों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में समाज सेवी दिनेश राय भाटी मौजूद रहे। जिन्होंने वृद्धजनों को साफा और महिलाओं को शॉल देकर सम्मानित किया। इस दौरान वृद्धजनों ने अपने जीवन साथी को वरमाला डाल और गुलाब का फूल देकर एक अनोखा वेलेंटाइन डे मना कर अपना प्यार का इजहार किया। अध्यक्ष दिनेश चंद्र गुप्ता ने बताया की कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वैलेंटाइन डे पर युवा वर्ग की सोच को वृद्धजनों के प्रति आदर सम्मान और सद्वव्यवहार की भावना को जाग्रत करना है।
भारत में जरूरत नहीं, ये विदेशी संस्कृति 
दूसरी तरफ प्रदेश के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी वैलेंटाइन डे को विदेशी संस्कृति बता रहे हैं। हमेशा विवादों में रहने वाले शिक्षा मंत्री देवनानी ने आज देश के युवाओं को वैलेंटाइन डे नहीं मनाने की नसीहत दी है। जिसके पीछे उन्होंने तर्क ये दिया है कि विदेशों में प्रेम जैसी कोई भावना नहीं होती इसलिए वो कभी फादर डे, कभी मदर डे, तो कभी वेलेंटाइन डे मनाते हैं। जबकि भारत में आपसी प्यार दर्शाया नहीं जाता है। ये परिवारों में हमेशा ही रहता है। वैलेंटाइन डे मनाना भारत की संस्कृति नहीं है। प्रेम दर्शाने के लिए कोई अलग से दिन मनाने की जरूरत नहीं है। वैसे भी भारत में ज्यादा से ज्यादा एक प्रतिशत ही ऐसे लोग हैं जो पाश्चात्य संस्कृति की नकल करतें हैं।
ये हैं असली वैलेंटाइन
उधर, जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में एक महिला ने अपने पति को अपनी एक किडनी देकर वैलेंटाइन डे के मायने ही बदल दिए हैं। झुंझुनूं निवासी 32 वर्षीय इन्दुदेवी ने किडनी फेलियर की गंभीर बीमारी से जूझते पति को अपनी किडनी डोनेट की और वैलेंटाइन डे की प्रेम भावना को साक्षात किया। महात्मा गांधी अस्पताल के किडनी विशेषज्ञ डॉ. टी.सी. सदासुखी तथा गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. सूरज गोदारा ने बताया कि किडनी रोगी लक्ष्मी नारायण का पिछले दो माह से डायलिसिस पर उपचार चल रहा था। उसे किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। चिकित्सकों ने बताया कि मरीज की ब्लड ग्रुप की जांच की गई जो एबी पॉजीटिव था। संयोग से उनकी पत्नी का ब्लड ग्रुप भी बी पॉजीटिव था जो कि प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त था। सुहाग बचाने के लिए इन्दु ने अपनी किडनी देने का निर्णय किया जिसका प्रत्यारोपण मंगलवार को किया गया। चिकित्सकों की टीम में डॉ. सदासुखी और डॉ. गोदारा के अलावा डॉ. एचएल गुप्ता, डॉ. मनीश गुप्ता, डॉ. गोविन्द शर्मा, डॉ. बी.बी. बज तथा डॉ. विपिन गोयल शामिल रहे। 

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