जयपुर फिर शिवजी मंदिर से उठकर पहुंचे तंवर जी के नोहरे में

जयपुर। धर्म नगरी और छोटी काशी के रूप में प्रसिद्ध जयपुर में विकास के नाम मंदिरों को तोडऩे का सिलसिला बदस्तूर जारी है।जयपुर मेट्रो का रास्ता साफ करने के लिए जयपुर मेट्रो प्रबंधन और पुलिस ने एक बार फिर बड़ी चौपड़ पर मंदिरों की शिफ्टिंग शुरू कर दी गई। अधिकारियों के मुताबिक इन मंदिरों को माणक चौक थाने के पीछे शिफ्ट किया जा रहा है। हालांकि इस दौरान कटर-ड्रिल मशीन की मदद से मूर्तियों को निकालकर सुरक्षित रख दिया गया, लेकिन धरोहर बचाओ समिति, बंदी बचाओ समिति और शिवसेना हिंदुस्तान के कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया। पुलिस का भारी जाब्ता तैनात रहा। समझाइश के दौरान नहीं मानने पर पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया।
मंदिर तोड़कर भगवान को एक टैंपो से शिफ्ट किया गया। जयपुर के बड़ी चौपड़ पर फूलों के खंदे में स्थित शिव-हनुमान व गणेशजी के प्राचीन मंदिरों को तोड़े जाने का विरेाध किया तो पुलिस विरोध कर रहे लोगों को गिरफ्तार कर ले गई। इस बात के विरोध में हंगामा भी हुआ।
कब रुकेगा ये सिलसिला
असल में मेट्रो के रूट में आने वाले मंदिरों को जयपुर मेट्रो प्रबंधन ने जिला प्रशासन की मदद से पूर्व में भी कई बार तोड़ा है। इसी कड़ी में दो और मंदिर तोड़े गए। यहां शिव परिवार व हनुमान जी और गणेशजी के मंदिर मंदिर मेट्रो के रास्ते में आ रहे थे। ऐसे में जयपुर मेट्रो ने इन मंदिरों को भी हटवा दिया। इसी तरह पूर्व में हटाए गए रोजगारेश्वर मंदिर के मामले में विवाद हो गया था। प्राचीन मंदिर को हटाए जाने पर आमजन ने आंदोलन कर दिया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने उसी स्थान पर फिर से मंदिर का पुनर्निर्माण कराने का फैसला किया। बाद में उसी स्थान पर नींव भी रखी गई।
यूं हुआ हंगामा
लंबे समय से मंदिर तोड़े जाने का विरोध कर रही मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने बुधवार को फिर विरोध किया। विरोध के लिए जब वे बड़ी चौपड़ की ओर रवाना हुए तो पुलिस ने उन्हें छोटी चौपड़ पर ही रोक लिया। काफी देर तक चले हंगामे के बाद सभी को पकड़कर पुलिस बस में भरकर ले गई। विरोध करने वालों का कहना था कि हर बार किसी भी विकास कार्य के बहाने मंदिरों को ही क्यों तोड़ा जा रहा है। अन्य को क्यों नहीं। इस बात को लेकर काफी देर तक पुलिस इन विरोध करने वालों से उलझती रही। लोगों का यह भी विरोध था कि भगवान का नाम लेकर सत्ता में आई भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही सारे मंदिर तोड़े गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने रास्ते से हटाए गए मंदिरों को तोडऩे का विरोध किया।
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