-मास्टरप्लान को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय के बाद गैस गोदाम और पैट्रोल पंप की भूमि के कमर्शियल उपयोग का प्रमाण पत्र मांगने के खिलाफ गैस एजेंसी संचालकों ने खोला था मोर्चा
जयपुर। गैस एजेंसी संचालकों ने बुधवार को एक दिन की हड़ताल की लेकिन मंत्री की पहल और मध्यस्थता के चलते चार घण्टे में ही समाप्त भी हो गई। दरअसल मास्टरप्लान को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय के बाद गैस गोदाम और पैट्रोल पंप की भूमि के कमर्शियल उपयोग का प्रमाण पत्र मांगने के खिलाफ गैस एजेंसी संचालकों ने मोर्चा खोल दिया था। इससे प्रदेश की 1054 एलपीजी गैस एंजेसियों में से अधिकांश के ताले नहीं खुले और इससे पूरे दिन सिलेण्डरों की डिलिवरी भी नहीं हो पाई।
गैस एजेंसी संचालकों की खाद्य आपूर्ति मंत्री बाबूलाल वर्मा व प्रमुख साचिव खाद्य सुबोध अग्रवाल के साथ हुई वार्ता में बनी सहमति के बाद हड़ताल खत्म कर दी गई। प्रमुख साचिव खाद्य सुबोध अग्रवाल तथा खाद्य मंत्री से गैस वितरकों की समस्या के बारे में चर्चा हुई।
इन मुद्दों पर सहमति बनी
गोदाम की भूमि के रूपांतरण संबंधी 2002 के सर्कुलर को हटाने के लिए रिव्यु किया जाएगा। गैस वितरकों को परेशान नहीं किया जाएगा। एजी राय लेकर जल्द ही राहत प्रदान की जाएगी। डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के साथ कमेटी बनाकर जल्द समस्या का निराकरण किया जाएगा। वार्ता के बाद वितरकों ने सरकार की पहल का स्वागत किया तथा आज की हड़ताल स्थगित करने का निर्णय किया। एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन राजस्थान के अध्यक्ष दीपक सिंह गहलोत व महासचिव कार्तिकेय गौड़ ने बताया कि वार्ता में दोनों पक्षों में उपरोक्त बिंदुओं पर सहमति बनी।
खाद्य अधिकारी कर रहे थे परेशान
एजेंसी संचालकों का आरोप है कि खाद्य विभाग के अधिकारी उन्हें परेशान कर रहे हैं। उनका नवीनीकरण रोका जा रहा है। इससे गैस एजेंसियां बंद होने की नौबत आ गई है। हालांकि रसोई गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स के एक धड़े ने हड़ताल में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी। इस कारण कई रसोई गैस एजेंसियां खुली भी रहीं। जयपुर में भी 70 रसोई गैस एजेंसियां बंद रहीं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने भी कहा है कि रसोई गैस गोदामों के लिए भूमि का कमर्शियल उपयोग का प्रमाण पत्र जरूरी नहीं है।
lpg
गैस सिलेंडर एजेंसियों ने की हड़ताल, चार घण्टे बाद खत्म भी हुई
