प्रदेश में क्या गहलोत के बाप का राज है…!

जयपुर। प्रदेश के मंत्रियों की जुबां बार-बार फिसल रही है। फिसल भी ऐसी रही है कि अब राजनीति में कुछ भी नहीं देखा जा रहा और जो मुंह में आ रहा है बोला जा रहा है। ऐसा ही कुछ चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने रविवार को किया। सराफ रविवार को सेठी कॉलोनी स्थित मनोरोग चिकित्सालय में सेवाभारती के तत्वावधान में संचालित रसोई घर के नवीनीकरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि गए थे। वहां मीडिया से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान पर पलटवार करते हुए वह अपने पद की गरिमा को भूल गए।
सराफ ने कहा कि क्या प्रदेश में गहलोत के बाप का राज है। जो वो अधिकारियों पर कारवाई करेंगे। चिकित्सा मंत्री यहां नहीं थमें उन्होंने तो यहां तक कहा दिया कि अशोक गहलोत अवसाद के शिकार हो चुके हैं। इसलिए मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे है, जो कभी सच नहीं होंगे।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि सरकार के दबाव में गलत काम करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने रविवार को अपने इसी बयान को दोहराते हुए कहा कि जो ब्यूरोक्रेसी सरकार के दबाव में आकर अन्याय और अत्याचार कर रही है। उनकी एक लिस्ट तैयार की जा रही है। कांग्रेस की सरकार आते ही ऐसे अधिकारियों को नहीं बक्शा जाएगा। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से रुबरु गहलोत ने कहा कि पुलिस प्रशासन तो कई जिलों में ऐसा कर रहा है। जो अधिकारी ईमानदारी व निष्पक्ष होकर काम करेंगे। उन्हें सरकार से चिन्ता करने वाली जरुरत नहीं है। कांग्रेस की सरकार में ऐसे अधिकारियों का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा अधिकारियों ने सरकार का मजाक बना रखा है। गहलोत भाजपा के खिलाफ बेहद आक्रामक नजर आए। मीडिया से बातचीत में अशोक गहलोत ने कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के लिए गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को कटघरे में रखा। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री खुद ही आनंदपाल बन रहे हैं। जो आनंदपाल काम करता है वो काम वे सब करने लग गए हैं। बढ़ते आपराधिक मामलों पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। हर जगह प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है।
बिजली की दरों पर भी गरमाई सियासत
इधर, बिजली की बढ़ी दरें वापस लेने के बाद भी प्रदेश में सियासत गरमा गई है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी और ऊर्जा राज्यमंत्री पुष्पेन्द्र सिंह की ओर से इसे ऐतिहासिक फैसला करार दिए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया है। गहलोत ने कहा है कि मौजूदा सरकार ने लंबे समय तक आम जनता को मानसिक तनाव में रखा, जब लगा कि सीकर, झुंझुनूं में कांग्रेस के बड़े आंदोलन की तैयारी हो रही थी। धीरे-धीरे वह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलता, तो सरकार ने बजट का भी इंतजार नहीं किया। मजबूर होकर बढ़ी दरें वापस लेने की घोषणा सरकार को करनी पड़ी है। गहलोत ने कहा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष परनामी को ज्ञान नहीं है। जब नियामक आयोग बनाया गया उस समय केन्द्र में वाजपेयी की सरकार थी। और पूरे देश में जो बिजली बोर्ड हुआ करते थे, उन्हें पांच कंपनियों में विभाजित किया गया था।

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