जीएसटी सहित तीन विधेयक पारित, सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

विधानसभा संवाददाता
जयपुर। विधानसभा में राजस्थान माल और सेवा कर विधेयक, 2017 (जीएसटी) सहित तीन विधेयक विधानसभा में पारित कर दिए गए। इसके बाद विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर बहस की शुरुआत माणकचंद सुराणा ने। इस पर घनश्याम तिवाड़ी और प्रहलाद गुंजल सहित कई विधायकों ने अपनी बात रखी। बहस का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है, जब राजस्थान इस विधेयक को पारित करने के साथ देश में करों की जटिलता को समाप्त कर विकास दर को बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। भारत में कर की अवधारणा प्राचीन समय से ही विद्यमान रही है। ऋग्वेद और अथर्ववेद में करों की प्रासंगिकता और सरलता उल्लेखित है और चाणक्य ने भी कहा है कि करों को जटिल नहीं होना चाहिए।
शेखावत ने कहा कि करों की जटिलता अपने आप में ही एक कर है। इसी वजह से इस विधेयक के माध्यम से करों की जटिलता को कम किया जा रहा है और देश की अर्थव्यवस्था को प्रगतिशील अर्थव्यवस्था में बदलने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में कई प्रकार के कर होने की वजह से देश की अर्थव्यवस्था में कई अर्थव्यवस्थाएं काम कर रही थीं। साथ ही इसमें जटिलता होने से भ्रम की स्थिति भी सामने आती थी और कई विधिक समस्याएं भी थीं। ऐसे में माल और सेवा कर देश के विकास की रफ्तार को आगे बढ़ाने वाला साबित होगा। उद्योग मंत्री ने कहा कि कई राज्य माल और सेवा कर से सिद्धांतत: सहमत होने के बावजूद इसे लागू करने के पक्ष में नहीं थे। उन्हें लगता था कि इससे उन्हें निर्माण क्षेत्र में राजस्व का नुकसान हो सकता है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए इसमें राज्यों के लिए क्षतिपूर्ति के प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश की अर्थव्यवस्था की प्रकृति को बदलने वाला साबित होगा। शेखावत ने कहा कि राज्य में अभी तक 4 लाख 24 हजार से अधिक करदाता जीएसटी में माइग्रेशन करवा चुके हैं और इसके लिए राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय समितियों की बैठक हो चुकी है। साथ ही ट्रेनर्स की ट्रेनिंग का कार्य भी हो चुका है।
वेतन संशोधन विधेयक: राजस्थान मंत्री वेतन (संशोधन) विधेयक, 2017, राजस्थान मंत्री वेतन (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2017 एवं राजस्थान विधानसभा (अधिकारियों तथा सदस्यों की परिलब्धियां और पेंशन) (संशोधन) विधेयक,  ध्वनिमत से पारित कर दिए।  संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने तीनों विधेयकों के सदन में प्रस्तुत किया।  
राजस्थान नगरपालिका (पंचम संशोधन) विधेयक: राजस्थान नगरपालिका (पंचम संशोधन) विधेयक, 2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। राजस्थान नगरपालिका (पंचम संशोधन) विधेयक, 2017 पर हुई बहस का जवाब देते हुए स्वायत्त शासन मंत्री ने कहा कि विधानसभा चुनाव, 2008 के पश्चात् वर्ष 2009 व 2010 में स्थानीय निकायों के चुनाव हुए थे। स्थानीय निकायों के इन चुनावों में सत्ताधारी दल के विपक्षी दल से कई सभापति निर्वाचित हुए तब पूर्ववर्ती सरकार ने स्थानीय निकायों के सभापति पद की गरिमा व प्रतिष्ठा कम करने के लिए सभापति की शक्तियों को समाप्त करने के उद्देश्य से वर्ष 2011 में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 49 की उपधारा (9) व धारा 332 की उपधारा (3) को संशोधित कर सभापति के प्रशासनिक, पर्यवेक्षण व वित्तीय अधिकारों को समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय का सभापति एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि है, वह व्यक्ति मात्र नहीं होकर एक वैधानिक संस्था है। अत: सभापति की शक्तियों को समाप्त करना एक वैधानिक संस्था की शक्तियों को समाप्त करना है जो पूर्णत: अप्रजातान्त्रिक कृत्य है। स्वायत्त शासन मंत्री ने कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने निर्णय लिया कि इस प्रकार के अप्रजातान्त्रिक निर्णय को समाप्त करके ही प्रजातंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है। स्वायत्त शासन मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने पर सभापति की प्रशासनिक व वित्तीय शक्तियों का पुनरस्थापन हो जाएगा जो मूल अधिनियम की भावनाओं के अनुरूप है। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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