19.10.2017 लक्ष्मीपूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिरलग्न व स्थिरनवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है। अमावस्या सूर्योदय से मध्यरात्रि 12.41 तक रहेगी। दीपावली लक्ष्मी की उत्पत्ति तिथि व लक्ष्मी-कुबेर पूजन के लिए स्वयंसिद्ध समय है, अत: लक्ष्मी-कुबेर से संबद्ध मांगलिक कार्य इस दिन शुभ माने गए हैं। विष्कुम्भ योग इस पूजन हेतु श्रेष्ठ माना गया है। चित्रा नक्षत्र मृदु नक्षत्र है एवं सभी लक्ष्मी-कुबेर पूजन के लिए प्रशस्त माना गया है।
दिवाकाल के श्रेष्ठ समय- शुभ का चौघडिय़ा प्रात: 6.33 से प्रात. 07.58 तक, चर-लाभ-अमृत का चौघडिय़ा प्रात: 10.47 से दोपहर 3.01 तक, शुभ का चौघडिय़ा सायं 4.25 से सायं 5.51 तक रहेगा। अभिजित दोपहर 11.49 से दोपहर 12.34 तक रहेगा। इस दौरान व्यवसायिक स्थलों पर लक्ष्मी पूजन उचित रहेगा।
सर्वश्रेष्ठ समय- प्रदोष काल सायं 5.51 से रात्रि 8.26 तक है। रात्रि के श्रेष्ठ चौघडिए-अमृत-चर का चौघडिय़ा सायं 5.51 से रात्रि 9. 01 तक, लाभ का चौघडिय़ा मध्यरात्रि 12.12 से मध्यरात्रि 1.47 तक, शुभ-अमृत का चौघडिय़ा अन्तरात्रि 3.22 से अन्तरात्रि 6.33 तक रहेगा। रात्रि के श्रेष्ठ लग्न- वृषलग्न सायं 7.23 से रात्रि 9.20 तक रहेगा। सिंहलग्न मध्यरात्रि 1.53 से अन्तरात्रि 4.09 तक है।
दीपावली पूजन का मुहुर्त
