जयपुर का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है आज

जयपुर। जयपुर नगरां की पटरानी

केवल इसलिए नही कि जयपुर राजस्थान की राजधानी है,इसलिए भी नही कि दुनिया मे गुलाबी नगर के रूप में प्रसिद्ध इस शहर ने इज्जत कमा ली है या इसलिए नही कि मैं यहां पैदा हुआ,पला-बढ़ा हँसा-खेला इसलिये भी नही कि राज्य के समर्थ लोगों ने यहाँ फ्लैट मकान ले लिया है और लगभग सभी प्रशासनिक अधिकारियों की संपत्ति जयपुर में होती है।
जयपुर की अपनी अलग ठसक और पहचान है इसलिए पुरानी परम्पराओं को इज्जत देने वाले नगर ने नई रीत रिवाज भी पूरी शिद्दत से अपनाएं है। जैसे तीज गणगौर की ऐतिहासिक शान थी तो पौष बड़े और सहस्त्रघट के नए आयोजन और अन्नकूट प्रशादी के समारोही हो जाने ने शहर की मेल मिलाप की संस्कृति को परवान चढ़ाया है।
शोभायात्राओं ने जयपुर में जितनी बढ़त प्राप्त की है उतनी देश मे कहीं नही की,रामजी कृष्णजी की शोभायात्रा के बाद गणेशजी और हनुमानजी की शोभायात्रा और चेटीचण्ड के जुलूस के साथ अग्रसेन जयंती और बसंत पंचमी की शोभायात्रा ने दिनों दिन विस्तार और व्याप्त प्राप्त किया है।
     आयोजन और संगठन में निरंतरता सामाजिक परिवेश के कारण होती है, बगीचियों में पुराने आयोजन के बाद शादी ब्याह के जयपुरी व्यवस्था से पूरे देश के लोग जयपुर आकर शादी करते है,दीपावली की सजावट संसार भर मे इतनी सुंदर आयोजन नही बन पाई जितनी जयपुर में है।ये भी नए जमाने की परम्परा है। लगभग सभी परिवारों में पहली रोटी गाय को और आखरी मंडक़य्या कुत्ते को दिया जाना बदस्तूर जारी है।
गोविन्ददेव जी,ताड़केश्वर जी,गढ़ गणेश,मोती डूंगरी व नहर के गणेश जी के साथ ही चांदपोल,चांदी की टकसाल,सांगानेरी गेट और खोले के हनुमानजी के साथ झारखंड महादेव,सांगानेर के सांगा बाबा और घाट की गूणी के नाहरसिंह बाबा अद्वितीय तो है शहर भर को आशीर्वाद देते जयपुर को छोटी काशी का दर्जा दिलाते है। जागरणों का भी बोलबाला है यहां गीत संगीत की शामें तो लगभग सभी बड़े शहरों में पाई जा सकती है किंतु गालीबाज़ी और स्वरचित लोकगीतों को गाना इतनी बड़ी संख्या में नही होता।
यहाँ की हवा पानी मे आयोजन इतना रचा बसा है कि लोग किसी भी बात में जीमण कर लेते है। पाटोत्सव,स्थापना दिवस, रजत स्वर्ण जयंती,सुंदरकांड,भागवत और कथाएं भी बहुतायत में होती दिख रही है। जयपुर विकास प्राधिकरण ने “जहां नगर नियोजन एक परंपरा है” को ध्येय वाक्य चुना अब आयोजन की नगरी बने हुए शहर को नगरों की पटरानी की छाया मिली हुई है।
आज शहर के जन्मदिन पर जयपुर को प्रणाम और सबको बधाई।

@ मनीष पारीक

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