चिकित्सक और कर्मचारियों ने रखा अवकाश, प्रदेश का कामकाज हुआ प्रभावित

-चिकित्सकों कल से करेंगे गैर चिकित्सकीय कार्यों का बहिष्कार

-राज्य कर्मचारियों ने रखी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल, अगले पांच दिन जनता पर भारी
जयपुर। प्रदेश शुक्रवार को एक तरह से ठप ही रहा। एक तरफ तो सेवारत चिकित्सकों ने एक ही माह में दूसरी बार आंदोलन का रुख करते हुए फिर सामूहिक अवकाश रखा तो दूसरी तरफ राज्य के कर्मचारियों ने भी सरकार की कथित हठधर्मिता के खिलाफ एक दिन की सांकेतिक हड़ताल रखी। राज्य कर्मचारियों का जो कार्यक्रम सामने आया है उसके अनुसार तो आने वाले पांच दिन प्रदेश में कोई काम नहीं होगा।
शुक्रवार का दिन आमजन के लिए खासी मुसीबतों से भरा रहा। सेवारत चिकित्सकों के एक दिन के सामूहिक अवकाश के चलते चिकित्सालयों में चिकित्सक कम थे तो मरीजों को काफी दिक्कत हुई। इस सामूहिक अवकाश का असर हालांकि राजधानी पर कम कहा जा सकता है लेकिन प्रदेश के दूसरे हिस्सों में मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं राज्य कर्मचारियों की हड़ताल के चलते सरकारी दफ्तर सूने पड़े रहे। वहां काम कराने के अलबत्ता तो लोग पहुंचे ही नहीं और गलती से पहुंच गए उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा।
सरकार सख्त है, डॉक्टर अड़े हैं लेकिन मरीजों का क्या
प्रदेशभर के चिकित्सक शुक्रवार को फिर सामूहिक अवकाश पर चले गए। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के बैनर तले कई दिनों से विरोध कर रहे चिकित्सकों के अवकाश पर जाने से की चिकित्सा व्यवस्था फिर से गड़बड़ा गई और मरीजों को परेशानी हुई। गौरतलब है कि नवंबर माह में हुई डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान 30 से ज्यादा मरीजों की जान चली गई थी। संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय चौधरी का कहना है कि सरकार के विश्वासघात और दमन के खिलाफ विरोध जारी रहेगा। राज्य के अन्य कर्मचारी हमारे परिवार के सदस्य हैं और वे भी सरकारी कुनीतियों और वादाखिलाफी से पीडि़त हैं। इस दौरान उन्होंने विरोध जारी रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि सामूहिक अवकाश से लौटने के बाद 9 दिसंबर से अस्पताल से बाहर ओपीडी चलाई जाएगी और गैर चिकित्सकीय कार्यों का बहिष्कार किया जाएगा। शाहपुरा सीएचसी पर एक भी चिकित्सक नहीं होने से मरीजों की परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान शाहपुरा तहसीलदार सूर्यकांत शर्मा भी राजकीय अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों के अवकाश पर होने से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ कार्यक्रम के तहत कैंप भी नहीं लगाया जा सका। बाद में सीएचसी पर आयुष चिकित्सकों ने व्यवस्था संभाली। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार बीते माह हुए समझौते को लागू नहीं कर रही है। साथ ही चिकित्सक नेताओं के तबादले से डॉक्टर नाराज हैं। लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में आ रही बाधा के कारण राजस्थान सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। राज्य के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ आए दिन डॉक्टरों पर सख्ती के बयान दे रहे हैं।
राजधानी में अधिक असर नहीं
चिकित्सकों के सामुहिक अवकाश का राजधानी जयपुर में कोई खास असर दिखाई नहीं दिया। हालांकि प्रदेश में लोगों को बहुत परेशानी हुई। सेटेलाइट जयपुरिया व कांवटिया अस्पताल हालात सामान्य रहे। जयपुरिया अस्पताल में सिर्फ एक चिकित्सक अवकाश रहा। 56 सेवारत चिकित्सकों में से 55 ड्यूटी पर रहे। कांवटिया अस्पताल में भी अधिकतर डॉक्टर्स आए। संघ से जुड़े कई पदाधिकारी भी ड्यूटी पर मौजूद रहे। इससे लगता है कि इस बार ये विरोध दो फाड़ हो गया है। इधर चिकित्सक सामुहिक अवकाश पर सरकार सख्त है। चिकित्सकों का वेतन काटने का निर्णय किया गया है। स्वास्थ्य विभाग अवकाश रहे चिकित्सकों को 17 सीसीए का नोटिस भी देगा। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि बिना स्वीकृति अवकाश  गैर कानूनी है और इससे सख्ती से निपटा जाएगा।
जश्न प्रभावित होगा सरकार का
दूसरी तरफ राज्य कर्मचारियों की हड़ताल के चलते प्रदेश की बीजेपी सरकार के चार साल पूरे होने पर आयोजित किए जाने वाले तमाम कार्यक्रमों पर हड़ताल का ग्रहण लग सकता है। राज्य कर्मचारियों की हड़ताल में सेवारत डॉक्टरों के शामिल होने से प्रदेश सरकार की मुसीबतें और बढ़ गई हैं। कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्यकर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए तीन मंत्रियों की एक कमेटी का गठन भी किया था। इस कमेटी ने कई बैठके की लेकिन कोई हल नहीं निकला। प्रदेश में पांच दिन का सप्ताह होता है। शुक्रवार को राज्य कर्मचारी हड़ताल पर रहे। शनिवार और रविवार अवकाश होने की वजह से सरकारी ऑफिस बंद रहेंगे। 11 दिसंबर को राज्य कर्मचारी 48 घंटे का सांकेतिक अनशन करेंगे।  12 दिसंबर को पेन डाउन करके अपना विरोध दर्ज करवाएंगे। 13 दिसंबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर राज्य कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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