जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि यमुना का पानी अब तक राजस्थान क्यों नहीं आया। इसका चार सप्ताह में जवाब दें। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्रा जोग और न्यायाधीश डी.सी. सोमानी ने झुंझुनूं के यशवर्द्धन सिंह की याचिका पर एजी को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता के वकील भरत सैनी ने बताया कि 1994 में यमुना नदी के जल बंटवारा के बारे में राजस्थान, हरियाणा, यूपी, दिल्ली और हिमाचल के बीच एक समझौता हुआ था। इसमें राजस्थान को 1.19 क्यूबिक मीटर पानी राजस्थान को मिलना था। 1995 में अपर रिवर यमुना बोर्ड ने भी इस समझौते को स्वीकृति दे दी। इसके बाद भी 1995 से 2001 तक राजस्थान ने पानी लेने के कोई प्रयास नहीं किए। यह पानी हरियाणा के ताजेवाला हैड से आना था। हरियाणा के सिंचाई विभाग को भी पानी देने में कोई आपत्ति नहीं थी। पानी के बंटवारे को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं होने के बावजूद राजस्थान सरकार ने पानी लेने के लिए अब तक कुछ नहीं किया।
हरियाणा के सिंचाई विभाग ने राजस्थान सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि राजस्थान नई नहर बना कर अथवा वर्तमान नहर की मरम्मत करा कर यह पानी ले सकता है। इसके बाद भी राजस्थान सरकार अपने हिस्से का पानी लेने का कोई प्रयास नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है।