रोशनलाल शर्मा
गुजरात में मतदाता अपना संदेश दे चुका है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई है लेकिन मतदाता ने भाजपा, कांग्रेस और अन्य सभी राजनीतिक दलों को ये स्पष्ट बता दिया है कि उसे बेवकूफ नहीं समझा जाए। ये उसने भाजपा को भी बता दिया और कांग्रेस को भी। भारतीय जनता पार्टी को 99 सीटें मिली है। पूर्ण बहुमत लेकिन पिछली स्थिति से उसको नुकसान उठाना पड़ा है। पिछली बार विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी करीब 11६ सीटों के साथ थी। कांग्रेस के पास महज 60 सीटें थी। इन चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं, उनका मंत्रिमण्डल गुजरात में मौजूद रहा। मोदी ने दर्जनों रैलियां और जनसभाएं कीं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रचार किया। लोकसभा चुनाव के लिए जितने तीन तरकश में रखे थे वे सब गुजरात में ही छोडऩे पड़ गए। भाजपा ने वहां हिन्दू-मुसलमान, जवाहर लाल नेहरू, इन्दिरा गांधी, यहां तक की पाकिस्तान तक को बीच में लाकर चुनाव लड़ा, इसके बावजूद उसे वहां 99 सीटों पर सब्र करना पड़ा। इसका सीधा सा मतलब यह है कि गुजरात की जनता ने भाजपा को संदेश दिया है कि आपको एक बार मौका और दिया लेकिन हवाई बातें छोड़ों और जमीन पर रह कर काम करो। गुजरात में ‘हम जो करें वह फाइनल हैंÓ की नीति भाजपा को भारी पड़ गई है। हालांकि हार्दिक पटेल का आरोप है कि ईवीएम में गड़बड़ी थी, इसलिए भाजपा चुनाव जीती। लेकिन नतीजों के बाद इसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्वीकार कर लिया है। इसलिए ये बात गौण हो जाती है।
दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति पिछली बार से मजबूत हुई है। उसे 77 सीटें मिल रही है और 17 सीटों का फायदा हुआ है, कांग्रेस इसके लिए खुशी मना सकती है लेकिन जितनी मेहनत वहां राहुल गांधी और अशोक गहलोत ने की है, उस हिसाब से ये नतीजे कांग्रेस के लिए संतोषजनक कतई नहीं कहे जा सकते। वहां कांग्रसे ने नोटबंदी, जीएसटी सहित कपड़ा व्यापारियों की बेहाली को मुद्दा बनाया लेकिन नतीजों के बाद साफ हो गया कि इन मुद्दों का जनता पर कोई असर नहीं है।
नतीजों से कांग्रेस के लिए ये संदेश साफ है कि उसे असली मुद्दों पर काम करना चाहिए। शंकर सिंह बाघेला सहित कई पुराने कांग्रेसियों को नहीं पूछना ये साबित करता है कि कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करके हाथ में आई सत्ता भी गंवाई जा सकती है। कुल मिलाकर गुजरात की समझदार जनता ने स्पष्ट कहा है कि मतदाता मूर्ख समझने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए। मतदाता बहुत समझदार है। वह पांच साल नहीं बोलता लेकिन जब चुनाव के समय बोलता है कि सबकी बोली बंद कर देता है। भाजपा जश्न मना सकती है क्योंकि उन्होंने गुजरात में सरकार बनाई है लेकिन क्या ये उनके जश्न का मौका है। हमारी नजर में तो ये भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एप्रेजल (आत्मावलोकन) का समय है।