जयपुर। वैदिक कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में सरफरोशी की तमन्ना के अमर गायक पं. रामप्रसाद बिस्मिल एवं काकोरी कांड के शहीदों- अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लहड़ी का मंगलवार को बलिदान दिवस मनाया गया।
दूरदर्शन के पूर्व निदेशक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार नंद भारद्वाज ने शहीदों के प्रेरणादायक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 19वीं शताब्दी में आर्य समाज की प्रेरणा से हजारों नवयुवकों ने देश की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति दे दी। शहीद होने वाले नवयुवकों में रामप्रसाद बिस्मिल भारतवर्ष के युवकों का प्रेरणास्त्रोत बने और उसके देशभक्ति के गीतों ने भारतवर्ष के नवयुवकों को देश के लिए बलिदान देने की प्रेरणा दी। रामप्रसाद ने फांसी के तख्ते से देश के नाम संदेश में कहा कि क्रांतिकारी संगठन करने की अपेक्षा जनता की प्रवृत्ति को देशसेवा की और लगाने का प्रयत्न करें और श्रमजीवी तथा कृषकों का संगठन करके उनको जमीदारों तथा रईसों के अत्याचारों से बचाएं। ग्रामीण संगठन करके कृषकों की दशा सुधारें।
आर्य समाज के अध्यक्ष सत्यव्रत सामवेदी ने कहा कि 1857 की क्रांति के बाद देश के लिए फांसी पर चढऩे वाले काकोरी कांड के शहीद थे जिनकी आयु 30 वर्ष से भी कम थी। बिस्मिल ने देश के नाम लिखे अपने संदेश में कहा कि जिस देश में 6 करोड़ मनुष्य अछूत समझे जाते हों उस देश के वासियों को स्वाधीन बनाने का अधिकार ही क्या है। स्त्रियों की दशा को सुधारने के लिए बिस्मिल ने लिखा कि स्त्रियों को पैर की जूती तथा घर की गुडिय़ा न समझी जाए। स्त्रियों की दशा भी इतनी सुधारी जाए कि वे अपने आप को मनुष्य जाति का अंग समझने लगे। भारतवर्ष के युवकों को प्रेरित किया जाए कि वे ग्राम संगठन बनाए और शहरी विलासी जीवन छोड़कर गांवों में तपस्वी जीवन व्यतीत करके जनजागरण अभियान चलाएं। बिस्मिल ने इस बात पर भी जोर दिया कि विद्यालयों में उद्योग पीठ एवं शिल्प विद्यालय खोले जाएं तथा कला कौशल भवनों की स्थापना करें। आजादी के 70 वर्ष बाद इन शहीदों के सपनों को हम सुने और उन सपनों के अनुसार देश को बनाए तभी देश का कल्याण हो सकता है।
बिस्मिल ने अपने अंतिम संदेश में कहा कि हिन्दू-मुस्लिम एकता ही हम लोगों की यादगार तथा अंतिम इच्छा है चाहे वह कितनी कठिनता से क्यों न प्राप्त हो। सरकार ने अशफाक उल्ला को रामप्रसाद का दाहिना हाथ करार दिया। अशफाक उल्ला कट्टर मुसलमान होकर पक्के आर्य समाजी रामप्रसाद क्रांतिकारी दल के सम्बन्ध में यदि दाहिना हाथ बनते तब क्या नए भारतवर्ष की स्वतंत्रता के नाम पर हिन्दू-मुस्लमान अपने निजी छोटे-छोटे फायदों का ख्याल न करके आपस में एक नहीं हो सकते। महाविद्यालय की छात्राओं ने सरफरोशी की तमन्ना, मेरा रंग दे बसन्ती चोला आदि देशभक्ति के गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।