-राजस्थानी सहित भारतीय भाषाओं के सम्मान की पहल
जयपुर। जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल के नाम पर साहित्य को बाजार बनाने का काम पिछले दस साल में हुआ है। इसमें भारतीय भाषाओं को राजस्थानी भाषा के साथ भी लगातार अन्याय हो रहा है। इसी को देखते हुए राजधानी जयपुर में 27 जनवरी से तीन दिन के लिए समानान्तर लिट्रेचर फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है। प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से आयोजित इस फेस्टिवल के आयोजकों का कहना है कि यही असली साहित्य फेस्ट है और इसके आयोजन के बाद ये साबित भी हो जाएगा।
समानान्तर लिट्रेचर फेस्टिवल को लेकर मंगलवार को जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में चाय पर चर्चा हुई जिसमें फेस्टिवल के चेयरमैन साहित्यकार ऋतुराज, महासचिव और मुख्य समन्वयक ईशमधु तलवार तथा फेस्टिवल संयोजक कृष्ण कल्पित शामिल हुए तथा इस फेस्टिवल के उद्देश्यों से मीडिया के लोगों को अवगत कराया।
तीन दिवसीय इस फेस्ट में आदिवासी की समस्याओं पर भी चर्चा होगी तथा उर्दू, हिन्दी तथा राजस्थानी सहित पंजाबी और अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य पर चर्चा होगी। तीन दिन में करीब 54 सत्र होंगे तथा हर दिन किसी रचना पाठ से फेस्ट की शुरुआत होगी। आयोजकों का कहना है कि लिट्रेचर फेस्टिवल के नाम पर साहित्य गायब है और साहित्य को बाजार बना दिया गया है। लिट्रेचर फेस्ट में ऐसे लोग आते हैं जिनका साहित्य से कोई लेना-देना नहीं है। समानान्तर लिट्रेचर फेस्टिवल असली साहित्य से साहित्य प्रेमियों को रूबरू कराने का प्रयास है। खास बात ये है कि इस फेस्ट के आयोजन के लिए लेखकों ने अपनी जेब से पैसे एकत्र किए हैं। आयोजन 27 जनवरी को अम्बेडकर सर्किल स्थित यूथ हॉस्टल पर शुरू होगा जिसमें नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी लेखक शामिल होने जा रहे हैं।