-विधानसभा में पारित हुआ कानून
विधानसभा संवाददाता
जयपुर। प्रदेश में अब बारह साल तक की छोटी बच्चियों के साथ बलात्कारियों को फांसी की सजा मिलेगी। विधानसभा में अन्तिम कार्यदिवस पर शुक्रवार इस संबंध में कानून पारित हो गया है।
इस कानून के बाद 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी की सजा दी जा सकेगी। मध्यप्रदेश के बाद ऐसा कानून बनाने वाला राजस्थान दूसरा प्रदेश है। अब यह कानून राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और वहां से अनुमति प्राप्त होने के बाद यह कानून लागू हो सकेगा।
गौरतलब है कि गृह विभाग के अनुसार प्रदेश में बच्चियों के दुष्कर्म के हर साल औसतन 1300 से ज्यादा प्रकरण दर्ज हो रहे हैं। इनमें कम उम्र की बच्चियों की संख्या भी काफी है। गृह विभाग के अनुसार जनवरी 2013 से दिसंबर 2017 तक प्रदेश में बच्चियों से दुष्कर्म के 6519 प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक-2018 विधानसभा के पटल पर रखा। कांग्रेस सचेतक गोविंद सिंह डोटासरा ने इस बिल पर बहस की शुरूआत की और कहा, प्रदेश में हालात बेहद खराब हैं। शाम होते ही बच्चियां बाहर जाने से डरती हैं। अभिभावक भी चिंतित हैं। प्रदेश में बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। अन्य सदस्यों ने भी कानून को लेकर अपने विचार रखे और बच्चियों के साथ हो रही घटनाओं को लेकर अपनी चिंता जाहिर की।
बहस का जवाब देते हुए गृहमंत्री कटारिया ने कहा कि बारह वर्ष से कम आयु की अबोध बालिकाओं के साथ बलात्कार जघन्य अपराध है जो पीडि़ता के जीवन को नर्क बना देता है। ऐसा अपराध घटित होने को सुनने मात्र से रूह कांप उठती है। ऐसी बालिकाओं को बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिए भयकारी दण्ड लगाना जरूरी है। गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि राजस्थान ने इस प्रगतिशील कानून की पहल की है। इस कानून के माध्यम से समाज एवं प्रदेश की जनता को यह संदेश पहुंचाने का प्रयत्न किया गया है कि अबोध बालिका के साथ बलात्कार करने पर मृत्युदंड भी मिल सकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून बनेगा, लेकिन हमने अपनी इच्छा राष्ट्रपति तक पहुंचाने का प्रयत्न किया है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि इसके कानून बनने के बाद देश के अन्य राज्य भी इसको लेकर आगे बढ़ेंगे और स्वयं केन्द्र सरकार भी कानून में बदलाव करके कठोर कानून बना सकता है।
इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया। दो संशोधन मिले आईपीसी की धारा 1860 में एक नई धारा 376 कक जोड़ा जाना प्रस्तावित है ताकि यह उपबंध किया जा सके कि 12 साल तक की बालिका से जो कोई दुष्कर्म करेगा उसे मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। या कठोर कारावास का प्रावधान होगा जो 14 साल से कम का नहीं होगा और जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा। यह जीवनकाल तक होगा। आईपीसी में इसी प्रकार 376 घघ भी यह उपबंध किए जाने के लिए प्रस्तावित है। इसमें 12 साल तक की बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपराध का दोषी माना जाएगा। वह फांसी से या कठोर कारावास से जिसकी अवधि 20 साल से कम नहीं होगी। जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी।