जयपुर। भारतीय संस्कृति के पावन उत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय नववर्ष नवसंवत्सर 2075 प्रारम्भ हो रहा है। इसके स्वागत के लिए 10 दिवसीय नवसंवत्सर उत्सव धूमधाम से जयपुर में आयोजित किया जाएगा।
संस्कृति युवा संस्था के अध्यक्ष एवं नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के संरक्षक पण्डित सुरेश मिश्रा ने बताया कि 15 मार्च से 25 मार्च तक 10 दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम नवसंवत्सर उत्सव के रूप में आयोजित किए जाएंगे जिसमें गुरुवार को नवसंवत्सर के स्वागत के लिये चार सफेद अश्व छोड़े जाएंगे। ये अश्व वास्तु के हिसाब से आठ दिशाओं में ईशान में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पश्चिम में हाथोज हनुमानजी, वायव्य में कदम्ब डूंगरी व उत्तर में आमेर में काले हनुमान मंदिर जी के लिये छोड़े जाएंगे और नवसंवत्सर का अनूठे तरीके से प्रचार-प्रसार करेंगे। भारतीय संस्कृति और नवसंवत्सर का प्रचार करने के लिये यह श्वेत अश्व जयपुर शहर के सभी प्रमुख स्थानों से होते हुए मंदिरों में जाएंगे।
नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष पवन शास्त्री एवं संयोजक हरेन्द्र पाल सिंह जादौन ने बताया कि इन सभी श्वेत अश्वों का विधिवत पूजन विद्वानों द्वारा वैदिक रीति से किया जाएगा। इस अवसर पर जयपुर के विभिन्न मंदिरों के संत-महंत और राजनीतिक, सामाजिक, व्यापारी उपस्थित रहेंगे। ये अश्व दुर्गापुरा स्थित दुर्गामाता के मंदिर से रवाना होंगे। ये अश्व 3 दिन तक आठों दिशाओं में जब घूमेंगे तो इनके साथ में समिति के कार्यकर्ता पम्पलेट बांटते हुये चलेगें और विशेषकर युवाओं से आग्रह करेंगे कि भारतीय नवसंवत्सर को धूमधाम से आयोजित करें।
18 मार्च को जयपुर के प्रमुख मंदिरों में घण्टे-घडियाल बजाकर नवभोर का स्वागत होगा एवं शाम को गोविन्ददेवजी के मंदिर में मंहत अन्जन देव गोस्वामी के सानिध्य में महाआरती का आयोजन किया जायेगा। इसके लिए ‘नवसंवत्सर उत्सव समारोह समितिÓ का भी गठन किया गया है। ये समिति जयपुर शहर में विभिन्न मंदिरों में 18 मार्च से 23 मार्च तक विशेष पूजन एवं दीप आरती का आयोजन भी करेगी। नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति की ओर से 1100 कन्याओं का कन्या पूजन भी किया जाएगा।