जयपुर। जुझारू एक्टिविस्ट प्रकाश शुक्ला रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका रात्रि को एसएमएस अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया था। वे 82 वर्ष के थे और मधुमेह से पीड़ित थे। अविवाहित प्रकाश शुक्ला मानसरोवर में मध्यम मार्ग पर अपने एक कमरे के फ्लैट में रहते थे जो कि उनका जन मुद्दों पर ‘वॉर रूम ‘ की तरह था। प्रकाश शुक्ला का अंतिम संस्कार स्वर्ण पथ मोक्ष धाम पर किया गया।
प्रकाश शुक्ला का जन्म कानपुर में 6 जून 1938 को हुआ था। वे युवावस्था में आचार्य विनोबा भावे, राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण के सहयोगी रहे। वर्ष 1975 में जब प्रकाश शुक्ला दिल्ली में नगर निकाय के कमिश्नर थे उन्होंने आपातकाल की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज़ उठाई और नौकरी छोड़ दी। सर्वोदयी विचारक गोकुल भाई भट्ट ने जयप्रकाश नारायण को कहा कि प्रकाश शुक्ला को उनके पास जयपुर भेज दें। प्रकाश शुक्ला जयपुर में आकर ‘ किशोर निवास ‘ में रहे और यहाँ से उनकी जयपुर के पर्यावरण, नगर नियोजन और पुरातत्व को बचाने की यात्रा शुरू हुई। हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू भाषा के जानकार प्रकाश शुक्ला गज़ब के संविधानविद् थे। वे कानून और जयपुर के एनसाइक्लोपीडिया थे। जयपुर शहर के बरामदे खाली कराने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक अपनी जनहित याचिका पर लड़ाई लड़ी और अपनी जमापूंजी इस याचिका में लगा दी। जयपुर की द्रव्यवती नदी को बचाने का मुद्दा हो या जयपुर जयपुर विकास प्राधिकरण व नगर निगम की कार्यप्रणाली का। प्रकाश शुक्ला आजीवन ऐसे सैंकड़ों मुद्दों पर पत्र लिखते, अफसरों से जूझते और कोर्ट में जनहित याचिका लगाते। इसके लिए उन्होंने कभी आर्थिक सहयोग स्वीकार नहीं किया। यह कार्य वे अपने अंतिम दिनों तक करते रहे। प्रकाश शुक्ला के पास सैकड़ों फाइलों का जमावड़ा था और जयपुर के पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि देश के उपराष्ट्रपति और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भैरोंसिंह शेखावत तक उनसे जन मुद्दों पर विचार विमर्श करते थे। कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी, वामपंथी दलों के अनेक राजनेता प्रकाश शुक्ला से मार्गदर्शन प्राप्त करते थे। प्रकाश शुक्ला ने मतदाता मंडल बनाकर लोहिया व जयप्रकाश नारायण के विचार आंदोलन को प्रदेश में आगे बढ़ाने का भी कार्य किया। प्रकाश शुक्ला से प्रदेश के अनेक वरिष्ठ आईएएस अफसर भी सरकारी योजनाओं व फैसलों पर चर्चा करते थे और उनका आदर करते थे क्योंकि प्रकाश शुक्ला को संविधान, स्वायत्त शासन जैसे विषयों की गहरी समझ थी। वे वेद, रामायण, भागवत गीता के भी गहरे ज्ञाता थे और हिंदी फिल्मों व शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ थे।
बहुत कम लोगों को मालूम है कि पंचायतराज एक्ट को लेकर तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने दिल्ली में प्रकाश शुक्ला से चर्चा की थी और अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानून भी समाप्त करते समय राजीव गांधी ने प्रकाश शुक्ला से विस्तृत विचार विमर्श किया था। प्रकाश शुक्ला प्रमुख कांग्रेस नेता जर्नादन द्विवेदी, सैम पित्रोदा और दिवगंत भाजपा नेता अरूण जेटली के भी करीबी रहे।
प्रकाश शुक्ला का निधन जयपुर के सामाजिक आंदोलनों के लिए एक बड़ी क्षति है।