जयपुर। निर्भया के गुनहगारों को उसकी मां आशा देवी ने एक लम्बे संघर्ष के बाद आखिरकार फांसी दिलाकर न्याय हासिल कर पूरे देश में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है। लगभग असम्भव से लगने वाले काम को उन्होने सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष किया है। इस संघर्ष में उन्हें साढ़े सात साल तक लेकिन उनके इस संघर्ष से हर मां को एक प्रेरणा मिली है।
उनके संघर्ष को सलाम करते हुए संस्कृति संस्था ने इसबार के ‘भारत गौरवÓ अवार्ड देने की घोषणा की है। संस्कृति संस्था के अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा ने बताया है कि निर्भया की मां ने ना केवल अपनी बेटी के लिये वरन पूरे देश की बेटियों के लिए न्याय मांगा और दोषियों को फांसी पर लटकाकर एक इतिहास रचा है। इसलिये संस्था ने इसवर्ष के ‘भारत गौरव अवार्डÓ देने का निर्णय लिया है।
मिश्रा ने बताया कि यह समारोह लंदन की ब्रिटिश पार्लियामेंट और न्यूयार्क में, युनाइटेड नेशन में देश-विदेश में भारत का नाम रोशन करने वाली प्रतिभाओं को ‘भारत गौरवÓ के अलंकरण से विभूशित किया जाता है। पूर्व के वर्षों में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, फिल्म स्टार मनोज कुमार, आचार्य लोकेश मुनी, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर, जैन मुनी पुलकसागर, नोबल पुरस्कार विजेता कैलाष सत्यार्थी, सुलभ शौचालय के संस्थापक बिंदेष्वर पाठक, गीतकार शैलेश लोढा, लंदन के सांसद विरेन्द्र शर्मा, राजयोगिनी दादी जानकी, मेजर ध्यानचंद, गजल गायक जगदीश सिंह, योगगुरू एच.आर. नागेन्द्र, नीरजा बहनोत जैसी हस्तियों को यह सम्मान मिल चुका है।