जयपुर। कोरोना वायरस के प्रकोप से जहां पूरी दुनिया जूझ रही है, वहीं राजधानी जयपुर में एक ऐसी भी जगह है जहां कोरोना वायरस तेजी से फैल सकता है और जिसपर अभी किसी का ध्यान नहीं गया है।
सवाल कुछ अटपटा है लेकिन देखा जाए तो सही भी है। हो सकता है कि इस संवाददाता को ये खबर लिखने के बाद परम्पराओं का विरोधी या धर्मविरोधी कह दिया जाए लेकिन सवाल बड़ा है। वह जगह है तीये की बैठकें। जी हां राजधानी जयपुर में किसी भी हिन्दू परिवार में होने वाली मृत्यु के तीसरे दिन होने वाली शोकसभा को तीये की बैठक कहा जाता है। ये बैठकें बदस्तूर जारी है और लोकलाज तथा अपने सामाजिक दायित्वों को निभाने के लिए लोगों का इनमें जाना भी जरूरी होता है। कम से कम रिश्तेदार और निकट संबंधियों के अलावा निकटम दोस्त व पड़ौसी इनमें जरूर शामिल हो रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक आज शहर में ऐसी 25 शोकसभाएं थी। हर शोकसभा में औसतन 400 से 500 लोग मौजूद रहे। इस हिसाब से सोमवार को इन शोकसभाओं में कम से कम दस हजार से अधिक लोग एकत्र हुए। अब इनमें कौन कोरोना पॉजिटिव है, इसका कोई पता नहीं है। वह किसको अपनी बीमारी दे गया इसका भी कोई अनुमान नहीं है।
सट-सट कर बैठते हैं लोग
शोक सभाओं में जमीन पर दरी बिछाई जाती है और लोग इस पर बैठते हैं। अधिक तादाद होने पर लोग सट-सटकर बैठते हैं। सोमवार को ऐसी कई बैठकों में लोग मौजूद रहे। हालांकि कई जागरुक लोग अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए मास्क पहनकर पहुंचे।