मॉडिफाइड लॉकडाउन का मतलब बाहर निकलने की छूट नहीं

मॉडिफाइड लॉकडाउन का मतलब बाहर निकलने की छूट नहीं

रमजान और अक्षय तृतीया पर लॉकडाउन की हो पूरी पालना

धर्मगुरू, जनप्रतिनिधि निभाएं जिम्मेदारी: मुख्यमंत्री

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि 20 अप्रेल से शुरू होने वाले मॉडिफाइड लॉकडाउन का यह कतई मतलब नहीं कि लोग घरों से बाहर निकल सकते हैं। लोग किसी सूरत में अपना जीवन खतरे में न डालें। लॉकडाउन की उसी तरह पालना करें, जैसे वे अब तक करते रहे हैं। आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त कोई बाहर निकला तो कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि इसी महीने शुरू होने वाले रमजान एवं अक्षय तृतीया के अवसर पर लोग लॉकडाउन की पूरी तरह पालना करें। उन्होंने धर्मगुरूओं, जनप्रतिनिधियों, एनजीओ आदि से अपील की है कि वे लॉकडाउन की पालना करवाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं।

गहलोत रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पत्रकारों के साथ वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब लॉकडाउन की शुरूआत की गई थी, तब राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों, धर्मगुरूओं, एनजीओ सहित सभी वर्गों को साथ लिया गया था। उन्हें हम फिर आग्रह करेंगे कि वे मॉडिफाइड लॉकडाउन को सफल बनाने में अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाएं।

एक-तिहाई कार्मिकों को फिलहाल नहीं आना है कार्यालय

मुख्यमंत्री ने बताया कि आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सरकारी कार्यालयों में 20 अप्रेल से 33 प्रतिशत कार्मिकों को रोटेशन के आधार पर बुलाने के निर्णय को फिलहाल टाल दिया गया है। अभी केवल सचिव, विभागाध्यक्ष और उप सचिव स्तर के अधिकारी एवं उनका निजी स्टाफ ही दफ्तर आएंगे। आगे इस संबंध में चरणबद्ध रूप से निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मॉडिफाइड लॉकडाउन में नगरपालिका के बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग शुरू हो सकेंगें। शहरी क्षेत्रों में उन्हीं उद्योगों को सीमित छूट दी गई है, जिनमें श्रमिकों को फैक्ट्री में रखने की उचित व्यवस्था उपलब्ध है। आवश्यक सेवाओं के लिए पूर्व में जो पास जारी किए गए हैं, वे आगे भी मान्य होंगे। नए ई-पास ऑनलाइन बनाए जाएंगे।

राज्य के कैम्पों में अटके श्रमिक कार्यस्थल पर जा सकेंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने प्रदेश के अंदर विभिन्न जिलों में कैम्पों में अटके श्रमिकों को राज्य में स्थित उनके कार्यस्थलों पर पहुंचने की छूट दे दी है, लेकिन इससे पूरी तरह समस्या हल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान की समस्या अन्य राज्यों से भिन्न है। बड़ी संख्या में यहां के श्रमिक देश के लगभग सभी राज्यों में मौजूद हैं। वे कोरोना महामारी के कारण तनाव में हैं और एक बार अपने-अपने घर जाना चाहते हैं। ऐसे में भारत सरकार को राजस्थान की परिस्थिति को ध्यान में रखकर उन्हें अपने घर पहुंचाने की छूट देनी चाहिए, ताकि उनका कॉन्फिडेंस मजबूत हो सके और वे कुछ समय बाद फिर अपने-अपने काम पर लौट सकें। इसके लिए हम भारत सरकार को पुन: पत्र लिखकर छूट देने का आग्रह करेंगे।

प्रदेश को 18 हजार करोड़ की राजस्व हानि, केंद्र दे विशेष पैकेज

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण राज्य की आय एवं राजस्व संग्रहण में 60 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। आर्थिक मंदी और कोरोना के कारण राजस्थान को इस वर्ष करीब 18 हजार करोड़ रूपए के राजस्व की हानि हुई है। मार्च के अंतिम सप्ताह में ही करीब 3500 करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस स्थिति का सामना करने के लिए केंद्र सरकार को विशेष पैकेज देना चाहिए। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार के ऐसे प्रयास हैं कि प्रदेश में एपीएल हो चुका कोई परिवार कोरोना के कारण बीपीएल में नहीं आए। आर्थिक सलाहकार सेवानिवृत्त आईएएस अरविंद मायाराम की अध्यक्षता में गठित कमेटी इस संबंध में विशेषज्ञों से सलाह ले रही है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उचित निर्णय लिए जाएंगे। केंद्र सरकार को इसके लिए पैकेज देना चाहिए ताकि किसी भी छोटे व्यापारी, दुकानदार या अन्य व्यक्ति की आर्थिक स्थिति नहीं बिगड़े। उन्होंने कहा कि राजस्थान में हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसमें धन की कमी नहीं आने दी जाएगी।

पेंडेंसी नहीं रहे, इसके लिए दिल्ली भिजवाए 4 हजार सैम्पल

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के टेस्ट की पेंडेंसी नहीं रहे, इसके लिए हमारी सरकार ने करीब चार हजार सैम्पल्स जांच के लिए दिल्ली भिजवाए हैं। राजस्थान में कोरोना के सबसे ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं। इसी दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार ने करीब चार हजार सैम्पल्स को जांच के लिए दिल्ली लैब में भेजा है। ऐसी पहल करने वाला राजस्थान पहला राज्य है। इससे कोरोना की रिपोर्ट के लिए बैकलॉग एवं इंतजार खत्म होगा।

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