राज्यपाल का सत्र बुलाने से इंकार, धरने पर बैठी सरकार, मुख्यमंत्री का आरोप: केन्द्र के दबाव में गर्वनर

राज्यपाल का सत्र बुलाने से इंकार, धरने पर बैठी सरकार, मुख्यमंत्री का आरोप: केन्द्र के दबाव में गर्वनर

जयपुर। प्रदेश में चल रहे सियासी खेल में राज्यपाल कलराज मिश्र ने कोरोना के चलते इतने शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाने से इंकार कर दिया। इसके बाद राजभवन में पहुंचे गहलोत समर्थित विधायकों ने नारेबाजी की और धरने पर बैठ गए।

इसके बाद राजभवन के बाहर ही राज्यपाल से मिलने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बात की जो ज्यौं की त्यौं पाठकों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है।

सुबह से आपको मालूम है कि मैंने आपको सूचना दी थी कि हमारे तमाम विधायकगण जाएंगे राजभवन, राज्यपाल महोदय से रिक्वेस्ट करेंगे कि जो कैबिनेट का फैसला हुआ है विधानसभा सत्र बुलाने का, पहल हमने खुद ने की है उसको विपक्ष को भी वैलकम करना चाहिए था, ये परंपरा रही है लोकतंत्र की, यहां उल्टी गंगा बह रही है। हम कह रहे हैं कि हम सेशन बुलाएंगे, अपना बहुमत सिद्ध करेंगे, कोरोना पर बहस करेंगे, लॉकडाउन में जो तकलीफ हुई है आर्थिक रूप से उसपर बहस करेंगे, पूरे हाउस को हम लोग विश्वास में लेंगे। पहले भी हमने 21 घंटे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी तमाम विधायकों के साथ में चाहे पक्ष के थे चाहे विपक्ष के थे, कई अच्छी राय आई थीं उनको मैंने माना था, यही परंपरा होती है। हमारे संवैधानिक मुखिया हैं राज्यपाल महोदय, हमने जाकर रिक्वेस्ट की है। मुझे कहते हुए संकोच नहीं है कि बिना ऊपर के दबाव के वो इस फैसले को रोक नहीं सकते थे क्योंकि कैबिनेट के फैसले में बाउंड होते हैं राज्यपाल महोदय कि हमें किसी भी रूप में उसको मानना है और असेंबली सेशन बुलाना है। कुछ क्वेरी भी होती है मान लीजिए उनकी तो वो म्यूचुअली बात करके सरकार के साथ में कल रात को ही, मैंने उनको निवेदन किया, कि आपकी कुछ क्वेरी भी है तो आप सेक्रेटरी टू गवर्नर- सेक्रेटरी टू सीएम से बात करके वो क्वेरीज हम लोग सॉल्व कर सकते थे। क्या कारण रहे कि आपने कल फैसला उसपर नहीं सुनाया? आज हमने फिर निवेदन किया है कि आप कृपा करके जल्द से जल्द इस फैसले को सुनाएं जिससे कि पूरे प्रदेश की जनता इंतज़ार कर रही है कब फैसला आए कब हमें शांति मिले। लोगों में बहुत आक्रोश भी है कि इतने दिनों से कोई होटलों में बैठे हुए हैं, कुछ हमारे साथी गए हुए हैं वहां पर हरियाणा के अंदर बंधक बनाए हुए हैं। हमने तमाम विधायकगणों को कहा है कि हमें महात्मा गांधी जी के बताए हुए रास्ते पर चलना है, उसी रूप में हम लोग यहां पर बैठे हुए हैं, उसी अप्रोच के साथ हम बात कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि माननीय राज्यपाल महोदय कलराज मिश्र जी जिनका अपना एक व्यक्तित्व रहा है, पक्ष और विपक्ष उनका सम्मान करता आया है दिल्ली के अंदर भी और वो दबाव में नहीं आएंगे क्योंकि संवैधानिक पद जो होता है, शपथ ली जाती है, उनको कई मौके ऐसे आते हैं जिंदगी के अंदर निर्णय करने के वक्त में उनको बोल्डली निर्णय करना चाहिए, इतिहास में नाम तभी दर्ज होता है जब आप अपना संवैधानिक कर्त्तव्य पूरा करो। मैं यकीन करता हूं कि वो हमें जल्द ही फैसला सुनाएंगे, उसके बाद में हम लोग चाहेंगे कि जल्द से जल्द सेशन शुरु हो और तमाम समस्याओं के बारे में हम चर्चा करें, ये हम लोगों ने तय किया है इसीलिए हम लोग यहां बैठे हुए हैं।

सवाल- सर कब तक यहां बैठे रहेंगे, राज्यपाल ने क्या कहा है ?
जवाब- डिपेंड करेगा कब पत्र देते है हमें वो, क्या लिखते हैं, उसके बाद में हम तय करेंगे कि हमें क्या करना है। उम्मीद करते हैं कि जो उनकी क्वेरीज हैं, जिसके कारण से वो ये फैसला नहीं कर पाए होंगे तो क्वेरीज जब हमें बताएंगे, उम्मीद करते हैं कि जल्द ही बता देंगे वो, उसके बाद हम फैसला करेंगे हमें क्या करना है।

एक बात मैं और कहना चाहूंगा, आपने देखा होगा कि हमेशा विपक्ष मांग करता है कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए और यहां उल्टा हो रहा है। सत्ता पक्ष कह रहा है विधानसभा सत्र बुलाएं, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा, मैंने सुबह भी आपको कहा था। इसमें समझ के परे है कि इतना क्या बड़ा षड्यंत्र इनका है कि सत्ता पक्ष सरकार कह रही है कि हम असेंबली फ्लोर पर जाना चाहते हैं और विपक्ष कह रहा है कि हम मांग ही नहीं कर रहे हैं, ये समझ के परे है। इससे अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सत्ता पक्ष ने बाकायदा कैबिनेट का प्रस्ताव पास किया, मुख्यमंत्री को अधिकृत किया, मैंने रिक्वेस्ट की महामहिम राज्यपाल महोदय से, उसके बाद में सत्र नहीं बुलाना ये समझ के परे है। ये क्या पहेली है, इसमें मैं समझता हूं कि आपको हम सबको जाना पड़ेगा।

सवाल- सर बीजेपी ये कह रही है कि सीएम की जो भाषा है वो राज्यपाल को धमकाने वाली है ?
जवाब- आपको लगता है क्या? भैरोंसिंह शेखावत साहब ने कहा था यहां राजस्थान के अंदर 1993 के अंदर कि अगर बहुमत हमारे पास में है और मुझे नहीं बुलाया गया तो राजभवन का घेराव होगा, ये राजनीतिक भाषा होती है नंबर एक, जनता को समझाने के लिए मैसेज देने के लिए, जनता समझती भी है, नंबर दो वही भैरोंसिंह शेखावत जी इसी राजभवन के अंदर जैसे आज हम लोग बैठे हैं, उसी रूप में धरने पर बैठे थे यहां पर। ये बीजेपी के जो नए-नए नेता पैदा हुए हैं उनको अभी सब जानकारी नहीं है इसलिए कई बार ऐसे कमेंट कर देते हैं। उनको चाहिए कि हम जैसे सीनियर लोगों से बातचीत करें, कुछ ज्ञान प्राप्त करें।

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