आवासन मण्डल की नई पहल
सीआईआई-आईजीबीसी द्वारा दिया गया ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर प्रस्तुतिकरण
ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर बिल्डिंग बनाने वाला मण्डल बनेगा प्रदेश का पहला सरकारी संस्थान
बिल्डिंग बायलॉज में भी ग्रीन बिल्डिंग बनाने पर दी जाती है अतिरिक्त एफएआर
नये बिल्डिंग बायलॉज में 20 हजार वर्गफीट निर्मित क्षेत्रफल से अधिक की बिल्डिंग ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट से बनाना होगा अनिवार्य
जयपुर, 21 अक्टूबर। आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि आने वाले समय की आवश्यकताओं और मांग को देखते हुए राजस्थान आवासन मंडल द्वारा भविष्य में बनाये जाने वाले बहुमंजिला भवनों को ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसकी शुरूआत जयपुर में मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत प्रताप नगर तथा इंदिरा गांधी नगर योजना में बनने वाले भवनों और मुख्यमंत्री राज्य कर्मचारी आवासीय योजना व ऑल इंडिया सर्विसेज रेजीडेंसी, प्रताप नगर के भवनों को ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर बनाकर की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को मंडल मुख्यालय स्थित बोर्ड रूम में सीआईआई-आईजीबीसी (इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल) जयपुर के चैयरमेन श्री जैमिनी ऑबेराय द्वारा ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट के सम्बंध में प्रस्तुतिकरण दिया गया। उन्होंने ग्रीन बिल्डिंग के फायदों के बारे में बताया कि इस कॉन्सेप्ट पर बिल्डिंग निर्माण से जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी और उपभोक्ताओं को कम कीमत पर किफायती आवास मिल सकेंगे। इसके साथ ही उर्जा और जल संरक्षण की वजह से भविष्य में पानी और बिजली पर किया जाने वाले व्यय भी कम हो सकेंगे। प्रस्तुतिकरण के बाद श्री जैमनी ओबेरॉय ने आयुक्त को ग्रीन बिल्डिंग मैन्युअल की प्रति भेंट की।
ग्रीन बिल्डिंग को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में दी जाती है विशेष एफएआर
राजस्थान की गिनती देश के उन अग्रणी राज्यों में होती हैं, जहां ग्रीन बिल्डिंग को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त एफएआर (बीएआर) दिया जाता है। राज्य सरकार द्वारा जो नये बिल्डिंग बॉयलॉज बनाए हुए हैं, उनमें ग्रीन बिल्डिंग को प्रोत्साहित करने के लिये अतिरिक्त एफएआर दिया जाने का प्रावधान है। इसके साथ ही जो नये बिल्डिंग बॉयलॉज बनाये जा रहे हैं, उनमें 20 हजार वर्गफीट से अधिक के निर्मित क्षेत्रफल वाले भवनों को ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर बनाना आवश्यक किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मण्डल द्वारा इस संबंध में अग्रिम पहल लेते हुए ग्रीन बिल्डिंग बनाने की शुरूआत की जा रही है।
ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट है क्या
ग्रीन बिल्डिंग उस बिल्डिंग को कहा जाता है जिसके निर्माण से लेकर रखरखाव में पर्यावरण का महत्वपूर्ण रोल होता है। इस तरह की बिल्डिंग में प्राकृतिक संपदा का उपयोग ज्यादा किया जाता है। ग्रीन बिल्डिंग में बिजली, पानी और अन्य संसाधनों की खपत एक आम बिल्डिंग से कम होती है। बिजली और पानी की खपत कम करने के लिए फ्लाई ऐश से बनी ईंटों का इस्तेमाल, हाई एनर्जी कंजर्वेशन लैम्प, वाटर रिसाइकलिंग और रेनवाटर हार्वेसटिंग जैसे फीचर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही बिजली के उपकरण इस तरह के लगाए जाते हैं, ताकि बिजली की खपत कम हो। ग्रीन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स में सबसे ज्यादा पानी की बचत होती है। ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की जाती है। बिल्डिंग में यूज होने वाले पानी को रिसाइकल कर उसे वापस उपयोग में ले सकते हैं। बिल्डिंग को सोलर पाथ को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाता है। सन लाइट का यूज ऐसे होता है कि घर में प्रकाश तो मिले पर उसका तापमान ना बढे। इससे दिन में लाइट्स जलाने की जरूरत कम पडती है साथ ही एयर कंडीशनर की खपत भी कम होती है। इस तरह से बडी मात्रा में बिजली की बचत होती है।
ये थे उपस्थित
बैठक में मुख्य अभियंता श्री के.सी. मीणा, जी.एस. बाघेला, नरेन्द्र बोहरा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता नत्थूराम, अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक श्री अनिल माथुर, ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट के विशेषज्ञ डॉ. शिवराज ढाका सहित मंडल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।