जयपुर। जयपुर संगीत महाविद्यालय एवं सबरंग संस्था द्वारा शास्त्रीय संगीत एवं लोक संगीत कलाकारों के लिए आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम भेंट संगीत की नई डगर को स्थापित कर रहा है। जयपुर संगीत महाविद्यालय के सचिव राम शर्मा ने बताया कि संगीत प्रस्तुत करने के लिए माहौल को आनंददायक बनाया जाए और श्रोताओं के लिए संगीत सुनने के अनुभव को रोमांचित बनाया जाए जिससे संगीत कलाकारों और उनके संगीत की प्रस्तुति को जीवंत किया जा सके और उनका प्रचार-प्रसार दुनिया भर में किया जा सके। यही हमारा लक्ष्य और दृष्टिकोण है।
कार्यक्रम की 183वीं श्रंखला मे जाने-माने सितार वादक पंडित मणिलाल नाग के शिष्य पंडित अरुणकुमार शाह ने राग बसंत मुखारी में आलाप, जोड़ एवं झाला से अपनी प्रस्तुति को प्रारंभ किया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए विलंबित तीन ताल में लिपिबद्ध रचना को प्रदर्शित किया। इसके पश्चात द्रुत तीन ताल में प्रसिद्ध बंदिश एवं गत को प्रस्तुत किया। इनके वादन में तंत्र कारी, मीड, गमक और गायकी अंग का बड़ा ही सुंदर प्रदर्शन रहा। पंडित अरुण कुमार ने प्रसिद्ध बंगाली लोक गीत को प्रस्तुत कर अपने कार्यक्रम का समापन किया। पंडित अरुण कुमार शाह के साथ पंडित श्यामल कांजीलाल ने तबला संगत का असरदार परिचय दिया।
कार्यक्रम संयोजक राजेंद्र राव ने बताया कि यह कार्यक्रम सामाजिक चेतना से संपन्न स्वर है। कलाकारों और श्रोताओं के विचारों के आदान-प्रदान का जबरदस्त माध्यम है। इस संगीत कार्यक्रम के दौरान हम युवा वर्ग को संगीत के प्रति आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। संगीत के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का सदुपयोग आसानी से किया जा सकता है।