रोशनलाल शर्मा
जयपुर।
कोरोना से आम आदमी डरे ना डरे लेकिन सरकार द्वारा लगाए गए नाईट कर्फ़्यू और रात 10:00 बजे बाजार बंद रखने के प्रतिबंधों से शायद कोरोना डर जाए।
जी हां जिस तरह से कोरोना को लेकर नाइट कर्फ्यू का हौवा सरकार और प्रशासन की तरफ से खड़ा किया गया वह आज पहले दिन कहीं दिखाई नहीं दिया। यूं लगा कि जो प्रतिबंध लगाए गए हैं वह सिर्फ कोरोना को डराने के लिए हैं आम जनता को नियंत्रित करने के लिए नहीं। अभी 10:00 बजे बाद मैं बाजार में हूं और मैंने दुर्गापुरा टोंक रोड और टोंक फाटक क्षेत्र के बाजारों को देखा है। 10:00 बजे बाद भी समस्त बाजार खुले हुए हैं वहां व्यापारी भी बैठे हैं और ग्राहक भी हैं। अगर कुछ नहीं है तो मास्क नहीं है सैनिटाइजर नहीं है और सोशल डिस्टेंसिंग भी नहीं है और भी अगर आगे जाएं तो नियमों की पालना कराने वाले पुलिसकर्मी भी नहीं है और प्रशासनिक तंत्र भी नहीं है।
प्रदेश में और साथ ही राजधानी जयपुर में तेजी से बढ़ते कोरोना के आंकड़ों को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ी चिंता जाहिर की थी। पिछले एक हफ्ते में वह कोरोना को लेकर तीन बैठकें कर चुके हैं और आखिरकार उन्होंने 1 दिन पहले यानी रविवार को जयपुर सहित आठ शहरों में नाइट कर्फ्यू लागू करने की घोषणा कर दी। साथ ही पूरे राजस्थान में रात 10:00 बजे से बाजार बंद करने की घोषणा कर दी। उन्होंने अधिकारियों को सख्ती के साथ कहा कि हमारी मेहनत पर पानी नहीं फिर जाए इसलिए कोरोना गाइडलाइंस की पालना सख्ती के साथ करवाई जानी चाहिए, लेकिन पहले ही दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश बाजारों में हवा होते नजर आए। रात 10:00 बजे बाद बिना किसी चिंता फिक्र के दुकानें खुली हुई थी। लोग सड़कों पर ऐसे घूम रहे हैं जैसे वो चहल कदमी कर रहे हो और निश्चित रूप से रात का खाना खाने के बाद लोग सड़कों पर घूमने निकल ही पड़ते हैं। कुछ आवारा किस्म के लड़के तेजी से फराटे दार बाइक दौड़आते हुए भी नजर आ रहे हैं जिन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है।
निश्चित रूप से लोग लापरवाह हैं और वे समझते नहीं हैं लेकिन यह स्थिति तो पहले से ही थी। लोगों को समझाने के लिए ही तो नाइट कर्फ्यू और बाजार बंद करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए थे तो फिर पहले की स्थिति में और आज की स्थिति में अंतर क्या है। अगर पुलिसकर्मी सख्ती के साथ कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं करवा पाते हैं तो फिर तो यही माना जाएगा कि नाईट कर्फ़्यू हो या बाजार बंद करने के निर्देश कोरोना को डराने के लिए हैं न की आम जनता को कोरोना से बचाने के लिए।
प्रशासन के स्तर पर यूं साबित करने की कोशिश की जा रही है कि जैसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशों को लेकर प्रशासन बहुत अधिक चिंतित है। आज कलेक्टर साहब ने भी मीटिंग करके सख्ती से करोना गाइडलाइन की पालना करने के निर्देश दिए हैं वहीं पुलिस अधिकारियों ने भी अपने स्तर पर मीटिंगे रखी। लेकिन इन सबके बावजूद कहीं पर भी हालात नाईट कर्फ़्यू से नजर नहीं आ रहे हैं
(जयपुर शहर से कुछ चुनिंदा स्थानों से रोशन लाल शर्मा की रिपोर्ट)