जयपुर। कांग्रेस में चल रहे राजनीतिक संकट को दूर करने औऱ गहलोत पायलट में सुलह का फॉर्मूला लगभग तैयार है। पायलट को फिर पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी दी जा सकती हैं।
कांग्रेस में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे को खुश करने तथा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सुलह समझौता करवा कांग्रेस का झगड़ा समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम सचिन पायलट को फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद सौंपे जाने की संभावना हैँ। उसके साथ 3 से 4 पायलट समर्थकों को मंत्री बनाया जाएगा। मंत्रिमण्डल का मसला इसी माह सुलट जाएगा।
एकता के संदेश का है ये फार्मूला
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद फिर से संभालने का ऑफर दिया हैं। पहले आलाकमान चाहता था कि सचिन केन्द्र में आकर राजनीति करें,लेिकन पायलट के साफ मना कर देने के बाद पीसीसी अध्यक्ष पद का प्रस्ताव दिया गया हैं। आलाकमान का इसके पीछे सोच है कि सचिन पायलट बिना किसी पद के दौरे तो पूरे राजस्थान में रूक-रूक कर ही रहे हैं। इन दौरों में उमडऩे वाली भीड़ से भी आलाकमान परिचित है इसीलिए सोचा गया है कि क्यों न पायलट को पीसीसी अध्यक्ष बना दिया जाए ताकि आमजन में ये संदेश ना जाए कि जनाधार वाले नेता की पार्टी संगठन अनदेखी हो रही है।
कांग्रेस आलाकमान की इस ताजा रणनीति की पुष्टि तो पायलट को पुन: पीसीसी अध्यक्ष बना देने के बाद ही होगी,लेकिन पायलट समर्थक कुछ बड़ा होने की जो उम्मीद लगाए बैठे है,वह पीसीसी अध्यक्ष का पद ही हैं। पायलट को अगर फिर से पीसीसी अध्यक्ष पद मिला तो वे भी दोगुने जोश से पार्टी संगठन के लिए काम करेंगे। हालांकि वे अभी अपने दौरों में कांग्रेस की बात करते है, लेकिन लगता है कि वे स्वयं के लिए जनाधार जुटाने में लगे हैं। पीसीसी अध्यक्ष बन जाएंगे तो सारा लाभ कांग्रेस की झोली में जाएगा और खासकर गुर्जर मतदाता भी इस टीस को भूला देंगे कि पायलट के साथ किसी तरह का धोखा हुआ अथवा उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। जिस तरह पंजाब में अमरिन्दर सिंह के न चाहते हुए भी नवजोतसिंह सिद्धू की पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ताजपोशी सर्वविदित हैं।