आमजन की अपेक्षाओं और सच्चाई के बीच सेतु का काम करती है न्यायपालिका सदन में सार्थक चर्चा संसदीय लोकतंत्र का आधार -मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमणा

आमजन की अपेक्षाओं और सच्चाई के बीच सेतु का काम करती है न्यायपालिका  सदन में सार्थक चर्चा संसदीय लोकतंत्र का आधार                              -मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमणा

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एन वी रमणा ने किया राजस्थान विधानसभा में डिजिटल संग्रहालय का लोकार्पण

राजस्थान के गौरवशाली राजनैतिक अतीत और वर्तमान राजस्थान की संरचना आधुनिक तकनीक से संग्रहालय में प्रदर्शित

जयपुर, 16 जुलाई। भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एन वी रमणा ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र है। लोकतंत्र में न्‍यायपालिका की भूमिका सबसे महत्‍वपूर्ण है। आजादी के 75 सालों में आमजन की आकांक्षाओं और सच्‍चाई के बीच सेतु का काम करते हुए न्‍यायपालिका ने प्रगतिशील कानूनों और नीतियों के फलस्‍वरूप भारत के विकास और परिवर्तन की कहानी लिखी है। उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र हमारी पहचान परिभाषित करता है, हमारी स्‍वतंत्रता, अधिकार और कर्तव्‍य निर्धारित करता है। उन्‍होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र बहुलता को संरक्षित करता है। लोकतंत्र की सफलता जनता के विश्‍वास और भागीदारी में ही निहित है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एन वी रमणा राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में आयोजित संसदीय लोकतंत्र के 75 वर्ष विषयक सेमिनार के मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। साथ ही श्री रमणा ने आज शनिवार को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान की गौरवमयी गाथा, राजनैतिक अतीत और वर्तमान राजस्थान और उसकी संरचना को प्रदर्शित करने वाले डिजिटल संग्रहालय राजनैतिक आख्‍यान का लोकार्पण किया। मुख्‍य न्‍यायाधीश श्री एन वी रमणा, विधान सभा अध्‍यक्ष डा. सी.पी. जोशी, मुख्‍यमंत्री श्री अशोक गहलोत व अन्‍य विशिष्‍ट अतिथियों ने संग्रहालय का अवलोकन किया।

राजस्‍थान की संस्‍कृति और परम्‍पराओं की प्रशंसा करते हुए श्री रमणा ने कहा कि राजस्‍थान के लोग सतर्क, जागरूक और लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में पूर्ण भागीदार है। उन्‍होंने कहा कि राजस्‍थान विधान सभा की कार्यवाही का लाइव प्रसारण जनप्रतिनिधियों को उत्‍तरदायी और लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। न्‍यायाधिपति ने कहा कि कानून और नीतियों का निर्माण पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें सही ढंग से लागू किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच समन्वय के लिए जरूरी है कि सदन में सार्थक बहस होती रहे और जनता के हित में नीतियों का निर्माण हो।

युवाओं का आह्वान करते हुए श्री रमणा ने कहा कि लोकतंत्र का आधार युवा है और युवा ही भारत के भविष्‍य का निर्माता है। इसलिए आज का युवा जागरुक और जानकार बने और लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे।

इस अवसर पर न्‍यायमूर्ति श्री रमणा ने डिजिटल संग्रहालय का लोकार्पण करते हुए कहा कि यह संग्रहालय राजस्‍थान की राजनैतिक और ऐतिहासिक विशेषताओं के साथ-साथ समृद्ध संस्‍कृति को प्रदर्शित करता है। उन्‍होंने कहा कि यह संग्रहालय मात्र एक भवन नहीं बल्कि हमारे भूतकाल और भविष्‍य का सेतु है। यह संग्रहालय नि:संदेह युवाओं को जिज्ञासु बनायेगा।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष एवं राष्‍ट्रमंडल संसदीय संघ, राजस्‍थान शाखा के अध्‍यक्ष डॉ सी पी जोशी ने संविधान की प्रस्‍तावना का उल्‍लेख करते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र के तीनों भाग विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका प्रत्यक्ष रूप से जनता के प्रति उत्तरदायी हैं। जहां विधायिका और कार्यपालिका का काम नीति निर्माण है, वहीं न्यायपालिका नीतियों का पालन कराने में अहम है। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका के प्रति उत्तरदायी है और कार्यपालिका जनता के प्रति उत्तरदायी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था के तीनों अंगों ने कहीं न कहीं लक्ष्‍मण रेखा पार करने की कोशिश की है। उन्‍होंने विधान सभाओं को 150 से कम दिवस चलने पर गहरी चिन्‍ता जाहिर की। उन्‍होंने कहा कि संविधान की प्रस्‍तावना में उल्‍लेख है कि हमने 75 वर्षो में क्‍या पाया और आगे क्‍या प्राप्‍त करना है। सामाजिक तकनीकी का इन्‍टरवेंशन बढ़ने से नई चुनौतियां आ रही है, जो गंभीर है। उन्‍होंने विश्‍वास जताया कि चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हमारा देश सक्षम है। हम सभी को मिल-जुल कर आगे बढकर काम करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों ही अंग एक साथ मिलकर नीति निर्माण करें और जनता के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन करें।

एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र पूरी दुनिया में एक मिसाल है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ बी आर अंबेडकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले सहित महान हस्तियों के जीवन त्याग और बलिदान की रक्षा करना हमारा दायित्व है। वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि आने वाली पीढ़ी के लिए भारत अखंड और मजबूत बना रहे। लोकतंत्र की रक्षा में विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका की अपनी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संसदीय लोकतंत्र यूएसए के प्रेसीडेंशियल फॉर्म आफ गवर्नमेंट से कई गुना बेहतर है। इसी के अंतर्गत हमें आगे बढ़ना है और देश को चलाना है। इसमें कमियों और चुनौतियां भी आएंगी लेकिन उन्हें दूर करने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संसद हो या विधानसभा बिल पर अच्छी स्थिति में बहस होने के बाद ही बिल पास होने चाहिए। बहस से ही भावनाएं प्रकट हो सकती हैं और यही एक स्वस्थ संसदीय लोकतंत्र की पहचान है। बिना बहस बिल पास होने से परेशानियां बढ़ती हैं और प्रकरण न्यायालय तक जाते हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्‍यमंत्री ने 29 जुलाई 2019 को बजट में राजस्थान विधानसभा में आधुनिक डिजिटल म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी।

विधान सभा में प्रतिपक्ष नेता श्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र ने बहुत उतार चढाव देखे है। विभिन्‍न विचारधाराओं को देखा है। जनता ने लोकतंत्र का सम्‍मान किया है, ये देश के लिए गौरव है। उन्‍होंने कहा कि हिन्‍दुस्‍तान में लोकतंत्र के प्रति लोगों की पूर्ण आस्‍था है। इस आस्‍था को बनाये रखने के लिए भविष्‍य के लिए हमें चिन्‍तन करना होगा और सभी को मिलजुल कर ऐसे कार्य करने होंगे, जिनके परिणाम जनहित में हो।

कार्यक्रम के अन्‍त में सी0पी0ए0 सचिव श्री संयम लोढ़ा ने सभी का धन्‍यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सदन में चर्चा में भागीदारी के प्रति उदासीन होना लोकतंत्र के प्रति खतरा है। विधेयकों पर सार्थक चर्चा होना जरूरी है।

इस कार्यक्रम में उच्‍चतम न्‍यायालय के न्‍यायाधीश न्‍यायाधिपति श्री अजय रस्‍तोगी व न्‍यायाधिपति श्री दिनेश माहेश्‍वरी और राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश न्‍यायाधिपति श्री संभाजी शिवाजी शिंदे विशिष्‍ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंत्री मण्‍डल के सदस्‍यगण और विधायकगण मौजूद रहे। राजस्‍थान विधान सभा के सचिव श्री महावीर प्रसाद शर्मा ने समारोह का संयोजन कर सभी आगन्‍तुकों का स्‍वागत किया और आभार ज्ञापित किया।

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