जब-जब होई धरम की हानि, बढहि असुर महा अभिमानी। तब-तब प्रभु धरि मनुज शरीरा, हरहि सदा सज्जन भव पीड़ा।।

जब-जब होई धरम की हानि, बढहि असुर महा अभिमानी।  तब-तब प्रभु धरि मनुज शरीरा, हरहि सदा सज्जन भव पीड़ा।।

दुर्गाष्टमी और रामनवमी एक साथ, घरों में जीमीं कन्याएं, भगवान राम हुए अवरित

जयपुर। छोटी काशी जयपुर में रविवार का अवकाश, अष्टमी का त्यौहार और रामनवमी का उल्लास जबरदस्त संयोग उत्पन्न कर रहा था। अष्टमी और नवमी एक दिन होने के कारण जहां नवरात्रों का समापन हुआ, वहीं घर-घर कन्या जीमीं। उधर रामनवमी पर मंदिरों में राम जन्मोत्सव मनाया गया। भगवान राम के जन्म पर उनका पंचामृत से अभिषेक हुआ और झांकी सजी।

चैत्र शुक्ल के नवरात्रा समापन पर रविवार को हवन और कन्या भोजन के साथ नवरात्र का समापन हुआ। घर-घर में अष्टमी और नवमी पर माता की ज्योत लेकर पूजा की। कन्या बटुकों को भोजन करवाया गया। इसके बाद मंदिरों में रामनवमी का पूजन किया गया।

अष्टमी और नवमी एक होने पर लोगों ने व्रत भी रखा। कन्याओं को भोजन करवाया गया। पौराणिक तीर्थ स्थल श्री गलताजी में रामनवमी पर रविवार को पांच सदियों पुरानी वैदिक परंपरा के तहत रामलला विग्रह रूप में शोभायात्रा निकाली गई। गलता पीठाधीश्वर संपत कुमार अवधेशाचार्य ने बताया कि गलता तीर्थ में नवमी पर रविवार सुबह 10 बजे सीतारामजी, रघुनाथ जी, रामनिवास जी और रामलला जी के विग्रह रूप शोभायात्रा के रूप में श्री निवास बालाजी मंदिर पहुंचें। शोभायात्रा में प्रभु श्री निवास, श्री देवी और भूदेवी का धातु विग्रह रूप भी शामिल किया गया। शहर के चांदपोल बाजार स्थित राम मंदिर में दोपहर 12 बजे मध्याह आरती के साथ रामजन्मोत्सव मनाया गया।

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